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ऋषभ पंत की चोट के बावजूद अद्भुत वापसी

भारतीय टेस्ट उप-कप्तान ऋषभ पंत ने हाल ही में अपनी चोट के बारे में निराशा व्यक्त की, लेकिन उन्होंने मैदान पर अद्भुत वापसी की। मैनचेस्टर में चौथे टेस्ट मैच के दौरान पंत को गंभीर चोट लगी, फिर भी उन्होंने 54 रन बनाकर टीम को मुश्किल स्थिति से बाहर निकाला। उनके साहसिक प्रदर्शन की प्रशंसा भारतीय टीम के कोच गौतम गंभीर ने की, जिन्होंने इसे ऐतिहासिक बताया। जानें पंत की इस अदम्य भावना के बारे में और कैसे उन्होंने टीम का हौसला बढ़ाया।
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ऋषभ पंत की चोट के बावजूद अद्भुत वापसी

ऋषभ पंत की चोट पर निराशा

ऋषभ पंत: भारत के टेस्ट उप-कप्तान और प्रमुख विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत ने हाल ही में अपनी चोट को लेकर गहरी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम स्टोरीज पर अपने बाएं पैर की तस्वीर साझा की, जो प्लास्टर में लिपटा हुआ था, और लिखा, "मुझे इससे बहुत नफरत है।"


चोट का कारण और प्रभाव

यह चोट मैनचेस्टर में भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट मैच के पहले दिन लगी थी। हालांकि, पंत ने इसके बाद बल्लेबाजी की और अर्धशतक बनाया, जिससे टीम इंडिया ने मैच को ड्रॉ कराने में सफलता पाई।


पंत की चोट ने टीम को प्रभावित किया

मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में पहले दिन पंत को गेंद उनके बाएं पैर पर लगी, जिसके कारण उन्हें मैदान छोड़ना पड़ा। उन्हें गोल्फ कार्ट से बाहर ले जाया गया। बीसीसीआई की मेडिकल टीम ने जांच के बाद बताया कि पंत को कम से कम छह हफ्तों का आराम चाहिए। यह चोट न केवल पंत के लिए, बल्कि भारतीय टीम के लिए भी एक बड़ा झटका साबित हुई।


ऋषभ पंत की घायल पैर की तस्वीर


पंत की अदम्य भावना

चोट के बावजूद, ऋषभ पंत ने हार नहीं मानी। पहले दिन 37 रन बनाकर रिटायर्ड हर्ट होने के बाद, उन्होंने फिर से बल्लेबाजी की। लंगड़ाते हुए सीढ़ियां उतरकर, पंत ने 75 गेंदों में 54 रनों की शानदार पारी खेली। उनकी इस साहसिक पारी ने न केवल दर्शकों का दिल जीता, बल्कि भारतीय टीम को कठिन स्थिति से बाहर निकालने में भी मदद की।


कोच की प्रशंसा

भारतीय टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने पंत की इस पारी को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा, "पंत ने जो किया, वह भारतीय टीम के लिए एक मिसाल है। टूटे हुए पैर के साथ बल्लेबाजी करना कोई छोटी बात नहीं है। उनकी इस हिम्मत को आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी।" गंभीर ने यह भी कहा कि इस तरह की पारी से टीम का हौसला बढ़ता है और यह मैच, जो ड्रॉ रहा, पंत की हिम्मत के कारण यादगार बन गया।