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एकनाथ शिंदे के 'जय गुजरात' बयान पर राजनीतिक हलचल

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के 'जय गुजरात' बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। इस बयान पर शिवसेना के सांसद संजय राउत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे का बचाव किया है। जानें इस विवाद के पीछे की राजनीति और विभिन्न प्रतिक्रियाएं।
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एकनाथ शिंदे के 'जय गुजरात' बयान पर राजनीतिक हलचल

राजनीतिक बयान का प्रभाव

मुंबई/पुणे — महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पुणे में जयराज स्पोर्ट्स एवं कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में “जय हिंद, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात” का नारा देकर सभी का ध्यान खींचा। यह कार्यक्रम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हुआ। इस पर शिवसेना (उद्धव) के सांसद संजय राउत ने तीखी प्रतिक्रिया दी, आरोप लगाते हुए कहा कि शिंदे ने “अमित शाह की डुप्लीकेट शिवसेना” का रूप धारण किया है। राउत ने सोशल मीडिया पर लिखा, "अमित शाह की डुप्लीकेट शिवसेना का असली चेहरा आज सामने आया! … ऐसे व्यक्ति को मंत्रिमंडल में क्यों रखा गया?" उनका कहना है कि शिंदे ने महाराष्ट्र के हितों की बजाय गुजरात को प्राथमिकता दी।


मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे का समर्थन करते हुए कहा कि यह नारा गुजरात की जनता और वहां के कार्यक्रम की उपस्थिति को ध्यान में रखकर दिया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि “जय गुजरात” कहने का मतलब यह नहीं है कि शिंदे का महाराष्ट्र के प्रति प्रेम कम हो गया है। फडणवीस ने शरद पवार का उदाहरण देते हुए कहा कि पवार ने कर्नाटक में “जय महाराष्ट्र, जय कर्नाटक” कहा था। उन्होंने विपक्ष को चेतावनी दी कि इस मुद्दे को राजनीतिक दृष्टिकोण से न लिया जाए और इसे महाराष्ट्र विरोधी न बताया जाए।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम मराठी-हिंदी भाषा विवाद के बीच आया है। राउत ने इसे मराठी अस्मिता के खिलाफ एक कदम बताया, जबकि फडणवीस ने इसे सामान्य राजनीतिक संतुलन के रूप में देखा। इस प्रकार, एक राजनीतिक बयान ने विरोध और समर्थन दोनों को जन्म दिया है। विपक्ष इसे महाराष्ट्र विरोधी और साम्राज्यवादी कदम मान रहा है, जबकि सरकार इसे सियासी संतुलन के रूप में देखती है।