एच-1बी वीजा शुल्क पर अमेरिकी अधिकारी का बयान, भारतीय प्रोफेशनल्स को मिली राहत

एच-1बी वीजा पर शुल्क की घोषणा से बढ़ी चिंता
डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा एच-1बी वीजा पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा ने भारतीय आईटी पेशेवरों और तकनीकी कंपनियों में चिंता का माहौल बना दिया था। चूंकि एच-1बी वीजा धारकों में 70% भारतीय हैं, इसलिए यह निर्णय उनके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। लेकिन अब एक अमेरिकी अधिकारी के बयान ने इस स्थिति में कुछ राहत प्रदान की है।
नया शुल्क और कंपनियों के निर्देश
हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने एच-1बी वीजा धारकों के लिए कंपनियों पर 1 लाख डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जो 21 सितंबर से लागू होने वाला था। इस निर्णय के बाद, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, मेटा और जेपी मॉर्गन जैसी प्रमुख तकनीकी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को अमेरिका में रहने और जो बाहर हैं, उन्हें तुरंत लौटने के निर्देश दिए। इससे भारतीय पेशेवरों में हड़कंप मच गया था।
अमेरिकी अधिकारी का महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण
अमेरिकी अधिकारी का बड़ा बयान
इस अफरा-तफरी के बीच, एक अमेरिकी अधिकारी ने स्पष्ट किया कि भारतीय वीजा धारकों को अमेरिका लौटने की कोई जल्दी नहीं है। उन्होंने कहा, 'एच-1बी वीजा धारकों को रविवार तक अमेरिका लौटने या 1 लाख डॉलर का शुल्क चुकाने की आवश्यकता नहीं है। यह शुल्क केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा, पुराने वीजा नवीनीकरण पर नहीं।' इस स्पष्टीकरण ने उन हजारों भारतीय तकनीकी पेशेवरों को राहत दी है जो इस निर्णय से प्रभावित हो सकते थे।
भारतीयों पर प्रभाव का कारण
भारतियों पर सबसे ज्यादा असर क्यों
एच-1बी वीजा धारकों में लगभग 70% भारतीय होते हैं। यह वीजा मुख्य रूप से तकनीकी और आईटी क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है। नए शुल्क नियम लागू होने पर अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय कर्मचारियों को नियुक्त करना महंगा हो जाता। इससे भारतीय आईटी पेशेवरों की नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा था। हालांकि, अब यह स्पष्ट हो गया है कि नवीनीकरण पर इसका असर नहीं होगा।
भविष्य की संभावनाएँ
क्या है आगे की राह?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्पष्टीकरण अस्थायी राहत है, लेकिन ट्रंप प्रशासन के निर्णय से भविष्य में भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरी के अवसर कठिन हो सकते हैं। कई आईटी कंपनियों को अब वैकल्पिक विकल्प तलाशने की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, भारत सरकार इस मुद्दे पर अमेरिकी प्रशासन से बातचीत करने की संभावना पर विचार कर रही है।