एनडीए का नया नारा: बिहार में विकास की रफ्तार

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए की तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, एनडीए ने एक नया नारा तैयार किया है - “विकास की रफ्तार पकड़ चुका बिहार… फिर से एनडीए सरकार।” इस नारे का औपचारिक अनावरण सितंबर के अंत में किया जाएगा।
प्रचार के लिए, एनडीए ने 225 एलईडी रथों की व्यवस्था की है, जो गांवों में जाकर सरकार की उपलब्धियों और वादों को जनता तक पहुँचाएंगे। इनमें 125 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं और बुजुर्गों की पेंशन को दोगुना करने और आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय में वृद्धि जैसे वादे शामिल हैं। लेकिन क्या ये वादे वास्तव में जनता की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए हैं या केवल चुनावी हथियार?
सरकार अपने कार्यों को भी प्रचार का हिस्सा बना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 लाख से अधिक श्रमिकों के खातों में 5,000 रुपये ट्रांसफर किए। इसके अलावा, सरकार ने युवाओं और छात्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई घोषणाएँ की हैं - अगले पांच वर्षों में 1 करोड़ रोजगार देने का लक्ष्य, स्नातकों को 1,000 रुपये भत्ता और स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड को ब्याज मुक्त बनाना।
नीतीश कुमार का कहना है कि सरकार लगातार युवाओं को अवसर देने और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को मजबूत करने के लिए प्रयासरत है। वहीं, विपक्ष का आरोप है कि ये सभी चुनावी उपहार हैं, जो बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा की खराब स्थिति से जनता का ध्यान हटाने के लिए हैं।
नए नारे और रथ यात्रा के माध्यम से, एनडीए अपने विकास मॉडल को चुनावी हथियार बना रही है। हालांकि, राजनीतिक बहस इस बात पर भी है कि हर चुनाव में नीतीश कुमार का नाम शामिल होता था, जबकि इस बार केवल मोदी-नीतीश की तस्वीरें हैं, नाम नहीं। क्या जेडीयू अपने नेता की भूमिका कम होते देखने को तैयार है या यह गठबंधन में खींचतान की शुरुआत है?