एशेज 2005: इंग्लैंड की ऐतिहासिक जीत का सफर
एशेज सीरीज का रोमांच
नई दिल्ली: एशेज सीरीज टेस्ट क्रिकेट की सबसे रोमांचक प्रतियोगिताओं में से एक मानी जाती है। यह सीरीज, जो ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच हर दो साल में आयोजित होती है, क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक विशेष उत्सव है। 1882-83 से खेली जा रही इस सीरीज का अगला संस्करण 21 नवंबर 2025 को पर्थ में शुरू होगा। इस बार हम 2005 की एशेज पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जब इंग्लैंड ने लगातार आठ एशेज हारने के बाद अपने घर पर जीत हासिल की और ऑस्ट्रेलिया की विजय यात्रा को रोक दिया।
इंग्लैंड की ऐतिहासिक जीत
एशेज में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रतिस्पर्धा हमेशा से कड़ी रही है। दोनों टीमें अक्सर अपने-अपने घर में एक-दूसरे पर भारी पड़ती हैं। 1986-87 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई एशेज सीरीज में इंग्लैंड ने 2-1 से जीत दर्ज की थी, जो कि ऑस्ट्रेलियाई धरती पर उनकी साहसिक जीत थी। इसके बाद, ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के लिए एशेज जीतना कठिन बना दिया।
2005 की सीरीज का रोमांच
1989 से 2003 तक, ऑस्ट्रेलिया ने लगातार आठ बार इंग्लैंड को एशेज में हराया। इंग्लैंड को एक ऐसे कप्तान और टीम की तलाश थी जो उसे एशेज में जीत दिला सके। यह अवसर 2005 में आया, जब रिकी पोंटिंग की कप्तानी वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम इंग्लैंड पहुंची। इंग्लैंड की टीम, जिसका नेतृत्व माइकल वॉन कर रहे थे, एशेज का खिताब वापस पाने के लिए उत्सुक थी। पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने 239 रन से जीत हासिल की, जिससे इंग्लैंड पर सीरीज हारने का खतरा मंडराने लगा।
सीरीज का परिणाम
दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड ने शानदार वापसी की और बर्मिंघम में ऑस्ट्रेलिया को 2 रन से हराकर सीरीज को 1-1 से बराबर कर दिया। तीसरा टेस्ट ड्रॉ रहा, जबकि चौथे टेस्ट में इंग्लैंड ने 3 विकेट से जीत हासिल कर सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली। अंतिम टेस्ट ड्रा रहा, और इंग्लैंड ने सीरीज 2-1 से अपने नाम की।
फ्लिंटॉफ का योगदान
इस सीरीज में एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने गेंद और बल्ले दोनों से शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 402 रन बनाए और 24 विकेट लिए। केविन पीटरसन ने 473 रन और मार्कस ट्रेस्कोथिक ने 431 रन बनाए। एंड्रयू स्ट्रॉस और कप्तान माइकल वॉन ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। शेन वॉर्न और एंड्रयू फ्लिंटॉफ को प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब मिला।
