ओआईसी का भारत के खिलाफ बयान और ब्रिटेन में जम्मू कश्मीर पर प्रस्ताव
इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने एक बार फिर से भारत के खिलाफ बयान जारी किया है, जिसमें जम्मू कश्मीर के मुद्दे को उठाया गया है। पाकिस्तान के दबाव में आए इस बयान के जवाब में, ब्रिटेन की संसद में भारत के समर्थन में एक नया प्रस्ताव पेश किया गया है। यह प्रस्ताव भारत की संप्रभुता को मान्यता देता है और पाकिस्तान के दुष्प्रचार का मुकाबला करता है। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी और इसके पीछे के ऐतिहासिक संदर्भ।
| Oct 29, 2025, 16:53 IST
ओआईसी का बयान और भारत की स्थिति
इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने एक बार फिर से भारत के खिलाफ बयान जारी करते हुए कश्मीर मुद्दे को उठाया है। पाकिस्तान के दबाव में आए इस बयान में ओआईसी ने भारत पर जम्मू कश्मीर में अवैध कब्जे का आरोप लगाया है। इसके साथ ही, ओआईसी ने कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करने का भी दावा किया। यह वही ओआईसी है जो आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए है और पाकिस्तान में सक्रिय आतंकियों पर कोई बात नहीं करता। ओआईसी अफगानिस्तान में पाकिस्तान के हमलों और मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर भी मौन है। लेकिन पाकिस्तान के दबाव में भारत के खिलाफ बयानबाजी करने में यह संगठन सक्रिय रहता है। ओआईसी के महासचिवालय द्वारा जारी एक लिखित बयान में कहा गया है कि ओआईसी जम्मू कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं और आत्मनिर्णय के अधिकार के साथ खड़ा है।
ओआईसी का रवैया और भारत की प्रतिक्रिया
यह ओआईसी का बयान पाकिस्तान की भाषा की तरह प्रतीत होता है, क्योंकि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा। ओआईसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुराने प्रस्तावों का हवाला देते हुए कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया है। संगठन ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है। हालांकि, ओआईसी का यह रवैया नया नहीं है; यह संगठन पिछले कई दशकों से पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा दिखाई देता रहा है। भारत ने पहले भी ओआईसी के ऐसे बयानों को खारिज करते हुए कहा है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर किसी बाहरी संगठन या देश का कोई अधिकार नहीं है।
ब्रिटेन में भारत के समर्थन में प्रस्ताव
इस बीच, ब्रिटेन की संसद में भारत के समर्थन में एक नया प्रस्ताव पेश किया गया है, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। ब्रिटिश कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने अर्ली डे मोशन पेश किया है, जिसमें जम्मू कश्मीर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को दोहराया गया है। यह प्रस्ताव भारत की ऐतिहासिक और संवैधानिक स्थिति को मान्यता देता है और पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार के खिलाफ एक मजबूत कूटनीतिक संकेत माना जा रहा है। प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है कि 26 अक्टूबर 1947 को तत्कालीन महाराजा हरी सिंह ने जम्मू कश्मीर का भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटेटन ने 27 अक्टूबर को स्वीकार किया। इस प्रकार जम्मू कश्मीर औपचारिक रूप से भारत का हिस्सा बन गया।
एक्शन डे का महत्व
हर साल 26 अक्टूबर को एक्सेशन डे मनाया जाता है, जो उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है जब जम्मू कश्मीर ने भारत के साथ एकता और अखंडता का मार्ग चुना था। यह प्रस्ताव 1947 के उस समय को भी याद दिलाता है जब पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर आक्रमण किया था। राज्य की रक्षा के लिए महाराजा ने भारत से मदद मांगी, और भारत ने सैन्य कार्रवाई कर पाकिस्तान को पीछे धकेल दिया। यही वह मोड़ था जिसने जम्मू कश्मीर के भारत में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त किया।
