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ओडिशा में विधायकों के वेतन में वृद्धि पर विवाद: भाजपा सरकार ने लिया बड़ा फैसला

ओडिशा की भाजपा सरकार ने विधायकों के वेतन में तीन गुना वृद्धि की, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि वे बढ़ा हुआ वेतन नहीं लेंगे। जनता के दबाव में, भाजपा सरकार को इस वृद्धि को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। जानें इस मुद्दे की पूरी कहानी और इसके पीछे की राजनीति।
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ओडिशा में विधायकों के वेतन में वृद्धि पर विवाद: भाजपा सरकार ने लिया बड़ा फैसला

ओडिशा में विधायकों के वेतन में वृद्धि

हाल ही में ओडिशा की भाजपा सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। विधानसभा में एक विधेयक पेश करते हुए, मोहन चरण मांझी की सरकार ने विधायकों के वेतन को तीन गुना से अधिक बढ़ा दिया। पहले विधायकों का वेतन और भत्ता लगभग एक लाख रुपये था, जिसे बढ़ाकर तीन लाख 35 हजार रुपये कर दिया गया। इस फैसले को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ और कई सवाल उठे। यह तर्क दिया गया कि विधायकों का वेतन बढ़ना चाहिए, क्योंकि नवीन पटनायक की सरकार ने कई वर्षों से इसमें कोई वृद्धि नहीं की थी। हालांकि, ओडिशा जैसे राज्य में इस तरह की भारी वृद्धि उचित नहीं मानी गई। आम जनता ने इसका विरोध शुरू कर दिया और सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ एक नैरेटिव विकसित हुआ।


पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष नवीन पटनायक ने इस जनभावना को तुरंत समझा और घोषणा की कि वे बढ़ा हुआ वेतन नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि यदि सरकार चाहे, तो उनके वेतन का बढ़ा हुआ हिस्सा जन कल्याण की किसी अन्य योजना में लगाया जा सकता है। जब बीजू जनता दल के प्रमुख ने बढ़ा हुआ वेतन लेने से मना कर दिया, तो पार्टी के अन्य विधायकों ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया। अंततः भाजपा के विधायकों को भी इस मुद्दे पर मजबूरन विरोध करना पड़ा। इस प्रकार, भाजपा सरकार को बढ़ा हुआ वेतन वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। जनता के दबाव में, बढ़ाए गए वेतन में कुछ कटौती की जाएगी।