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ओवैसी की सीमांचल न्याय यात्रा: महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी

असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल न्याय यात्रा की शुरुआत की है, जिससे महागठबंधन के नेताओं की चिंता बढ़ गई है। ओवैसी ने कहा कि उन्होंने सेकुलर वोटों के बंटवारे को रोकने की कोशिश की, लेकिन महागठबंधन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया। यात्रा में जुटी भीड़ ने यह संकेत दिया है कि ओवैसी की पार्टी इस बार भी महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है। जानें इस यात्रा के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित राजनीतिक प्रभाव।
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ओवैसी की सीमांचल न्याय यात्रा: महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी

सीमांचल न्याय यात्रा की शुरुआत

ऑल इंडिया एमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी सीमांचल न्याय यात्रा का आगाज कर दिया है। यात्रा की शुरुआत से पहले उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की कि सेकुलर वोटों का बंटवारा न हो, लेकिन महागठबंधन के नेताओं ने उनकी अपील पर ध्यान नहीं दिया। ओवैसी ने राजद के लालू प्रसाद और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से कई बार अनुरोध किया कि एमआईएम को गठबंधन में शामिल किया जाए, ताकि भाजपा विरोधी वोटों का विभाजन न हो। उन्होंने यह भी कहा कि उन पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन अब सच्चाई सबके सामने आ गई है।


इसके बाद ओवैसी ने सीमांचल न्याय यात्रा की औपचारिक शुरुआत की। इस यात्रा के दौरान जुटी भीड़ महागठबंधन के लिए एक चेतावनी है। महागठबंधन ने 17 अगस्त को सासाराम से वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत की थी, लेकिन ओवैसी की सभा में जुटी भीड़ उससे कहीं अधिक थी। हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग, जिनमें युवा अधिक थे, इस यात्रा में शामिल हुए। यह देखकर महागठबंधन के नेताओं की चिंता बढ़ गई होगी। पिछले चुनाव में ओवैसी ने इस क्षेत्र से पांच सीटें जीती थीं और महागठबंधन को लगभग एक दर्जन सीटों पर नुकसान पहुंचाया था। इस बार भले ही चुनाव सीधे तौर पर दिख रहा हो, लेकिन सीमांचल में ओवैसी की पार्टी महागठबंधन को फिर से नुकसान पहुंचा सकती है।