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ओवैसी ने उमर अब्दुल्ला पर साधा निशाना, पीएसए के दुरुपयोग का उठाया मुद्दा

जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में असदुद्दीन ओवैसी ने उमर अब्दुल्ला पर पीएसए के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। ओवैसी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री इसका गलत इस्तेमाल कर चुके हैं। वहीं, अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि पीएसए को हटाने के लिए राज्य को कानून और सुरक्षा की जिम्मेदारियों का नियंत्रण अपने हाथ में लेना आवश्यक है। इस मुद्दे पर आगे की राजनीतिक बहस की संभावना है।
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ओवैसी ने उमर अब्दुल्ला पर साधा निशाना, पीएसए के दुरुपयोग का उठाया मुद्दा

ओवैसी का तीखा बयान


ओवैसी का हमला: जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक माहौल में एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। पीएसए को हटाने की मांग पर असदुद्दीन ओवैसी ने उमर अब्दुल्ला पर तीखे सवाल दागे। उन्होंने इस कानून के दुरुपयोग और इससे होने वाली पीड़ा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब्दुल्ला समेत कई पूर्व मुख्यमंत्री इसका गलत इस्तेमाल कर चुके हैं।


ओवैसी का तर्क

असदुद्दीन ओवैसी ने बताया कि 1978 में शेख अब्दुल्ला द्वारा लागू किया गया पीएसए मूलतः तस्करी रोकने के लिए था, लेकिन इसे राजनीतिक उद्देश्यों और विरोधियों को दबाने के लिए भी इस्तेमाल किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य पूर्व मुख्यमंत्री इसे रद्द कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। ओवैसी ने काव्यात्मक अंदाज में कहा, 'सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया, दिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया।'


उमर अब्दुल्ला का स्पष्टीकरण

उमर अब्दुल्ला का जवाब: उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि पीएसए को हटाने के लिए राज्य को कानून और सुरक्षा की जिम्मेदारियों का नियंत्रण अपने हाथ में लेना आवश्यक है। उनका कहना था कि जब राज्य के पास यह अधिकार होगा, तो वे बिना विधानसभा सत्र का इंतजार किए पीएसए को आदेश (ऑर्डिनेंस) के माध्यम से हटा देंगे। उन्होंने कहा कि निर्वाचित सरकार के लिए राज्य विषयों पर नियंत्रण होना जरूरी है।


पीएसए का ऐतिहासिक संदर्भ

पीएसए का इतिहास: पीएसए के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमे के दो साल तक जेल में रखा जा सकता है। यह कानून 1978 में लकड़ी की तस्करी रोकने के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में इसे राजनीतिक नेताओं और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले व्यक्तियों को रोकने के लिए भी इस्तेमाल किया गया। हाल ही में, आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक को पीएसए के तहत डोडा जिले में सार्वजनिक शांति भंग करने के आरोप में जेल में रखा गया।


राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: ओवैसी का यह बयान जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक माहौल में नई बहस को जन्म दे सकता है। पीएसए के दुरुपयोग को लेकर मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने लंबे समय से चिंता जताई है। अब्दुल्ला का तर्क है कि निर्वाचित सरकार को कानूनों और सुरक्षा पर नियंत्रण मिले बिना पीएसए को हटाना संभव नहीं है। इस मुद्दे पर आगे भी राजनीतिक और कानूनी बहस जारी रहने की संभावना है।