कतर में मुस्लिम देशों की बैठक के बाद सीरिया और इजरायल के बीच सुरक्षा समझौते की संभावना

कतर में मुस्लिम देशों की बैठक का महत्व
कतर में 60 इस्लामिक देशों की बैठक: हाल ही में कतर में आयोजित एक बैठक में 60 मुस्लिम देशों ने इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की। इस बैठक में एक इस्लामिक नाटो जैसी सैन्य संगठन की स्थापना का प्रस्ताव भी रखा गया। लेकिन अब, इस घटनाक्रम के कुछ ही दिनों बाद, सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शारा ने यह पुष्टि की है कि उनका देश इजरायल के साथ एक सुरक्षा समझौते पर बातचीत कर रहा है, जो जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है। यह स्थिति तब आई है जब दोनों देशों के बीच दशकों से तनाव और शत्रुता का माहौल रहा है।
अहमद अल-शारा का बयान
अहमद अल-शारा ने क्या कहा?
दमिश्क में मीडिया से बातचीत करते हुए शारा ने कहा कि सीरिया के लिए सुरक्षा समझौता अत्यंत आवश्यक है। उनका कहना था कि इस समझौते का मुख्य उद्देश्य सीरिया के वायुक्षेत्र की सुरक्षा और देश की अखंडता व संप्रभुता की रक्षा करना है। हाल ही में इजरायल ने सीरिया पर हवाई हमले किए थे और दक्षिणी हिस्से में अपनी सेना भी भेज दी थी। यदि यह समझौता सफल होता है, तो इजरायल अपनी सेना को सीरियाई क्षेत्र से वापस बुला सकता है। सूत्रों के अनुसार, यह वार्ता लंदन में हुई एक गुप्त बैठक के बाद आगे बढ़ी, जिसमें अमेरिका ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने कुछ महीने पहले अचानक सीरिया पर लगी कई पाबंदियों को हटाकर इस वार्ता का रास्ता साफ किया था.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने की तैयारी
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने न्यूयॉर्क जाएंगे शारा
रिपोर्टों के अनुसार, सीरिया के विदेश मंत्री असद अल-शैबानी ने इजरायली प्रतिनिधियों को एक विस्तृत प्रेजेंटेशन सौंपी है, जबकि इजरायल ने भी अपनी शर्तें पेश की हैं। रॉयटर्स के अनुसार, अमेरिका चाहता है कि सितंबर के अंत में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले यह समझौता हो जाए। इसका कारण यह है कि उस सत्र में कई देश इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला प्रस्ताव पेश करने वाले हैं। अमेरिका चाहता है कि सीरिया जैसे मुस्लिम देश का समर्थन पाकर इजरायल की स्थिति मजबूत हो सके। हालांकि, राष्ट्रपति शारा ने अमेरिका के दबाव की बात से इनकार किया है, लेकिन कूटनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि अमेरिकी दबाव और समर्थन दोनों मौजूद हैं। शारा स्वयं भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने न्यूयॉर्क जाएंगे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के आने के बाद से इजरायल के साथ युद्धविराम जैसी स्थिति बनी हुई है, जबकि इससे पहले 8 दिसंबर तक इजरायल ने सीरिया पर करीब 1000 हमले किए थे। विश्लेषकों का मानना है कि बशर अल-असद की सरकार के समय जो गहरी दुश्मनी थी, उसे शारा के दौर में अमेरिकी समर्थन और राजनीतिक हितों के चलते बदलने की कोशिश की जा रही है.