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कनाडा में केरल के पादरी की गिरफ्तारी से चर्च में हलचल

कनाडा में केरल के एक कैथोलिक पादरी, फादर जेम्स चेरिकल, की गिरफ्तारी ने चर्च और भारतीय समुदाय में हलचल मचा दी है। उन पर नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे हैं। टोरंटो आर्कडायोसीज ने उन्हें सभी पादरी दायित्वों से हटा दिया है। चर्च प्रशासन ने कहा है कि उन्हें दोषी साबित होने तक निर्दोष माना जाएगा। इस मामले ने धार्मिक संस्थानों में जवाबदेही और नाबालिगों की सुरक्षा को लेकर बहस को फिर से जन्म दिया है।
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कनाडा में केरल के पादरी की गिरफ्तारी से चर्च में हलचल

कनाडा में पादरी की गिरफ्तारी


नई दिल्ली: कनाडा में एक कैथोलिक पादरी, जो केरल से हैं, की गिरफ्तारी ने चर्च और भारतीय समुदाय में हलचल पैदा कर दी है। पादरी पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे हैं, जिसके चलते पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। आरोप है कि पादरी की संलिप्तता एक नाबालिग से जुड़ी घटना में सामने आई है, जिसके बाद जांच एजेंसियों ने कार्रवाई की।


पादरी की पहचान और आरोप

गिरफ्तार पादरी का नाम फादर जेम्स चेरिकल है। वह टोरंटो आर्कडायोसीज से जुड़े हुए हैं और 2024 से ब्रैम्पटन के सेंट जेरोम कैथोलिक चर्च में पादरी के रूप में कार्यरत थे। पीएल रीजनल पुलिस ने 18 दिसंबर को उन पर एक नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है।


कनाडा के कानून के तहत आरोप

कनाडा के कानून के अनुसार, यौन हस्तक्षेप का अर्थ है 16 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के किसी भी हिस्से को यौन उद्देश्य से छूना। पुलिस ने बताया कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए मामले की गहराई से जांच की जा रही है। फिलहाल पीड़ित की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया गया है।


चर्च की प्रतिक्रिया

फादर जेम्स चेरिकल 1997 से टोरंटो आर्कडायोसीज के विभिन्न चर्चों से जुड़े रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी को चर्च के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। आरोपों के सामने आने के बाद, टोरंटो आर्कडायोसीज ने उन्हें तुरंत सभी पादरी दायित्वों से हटा दिया है। आर्कडायोसीज ने एक बयान में कहा कि इस तरह के आरोपों को गंभीरता से लिया जाता है और मानक प्रक्रियाओं के तहत त्वरित कार्रवाई की जाती है।


न्यायिक प्रक्रिया और चर्च प्रशासन

चर्च प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि कनाडा के कानून के अनुसार, फादर जेम्स चेरिकल को दोषी साबित होने तक निर्दोष माना जाएगा। उन्हें न्यायिक प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई का पूरा अधिकार है। इस मामले ने धार्मिक संस्थानों में जवाबदेही और नाबालिगों की सुरक्षा को लेकर बहस को फिर से जन्म दिया है। पुलिस जांच के परिणामों और अदालत की प्रक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।