Newzfatafatlogo

कनॉट प्लेस: दिल्ली के दिल में छिपे रहस्य

कनॉट प्लेस, दिल्ली का एक प्रमुख स्थल, न केवल अपनी खूबसूरत इमारतों के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके पीछे छिपे कई दिलचस्प रहस्यों के लिए भी। इस लेख में, हम जानेंगे कि कनॉट प्लेस का इतिहास क्या है, यह किसकी संपत्ति है, और यहां की दुकानों का किराया कैसे निर्धारित होता है। क्या आप जानते हैं कि यह स्थान ब्रिटिश राज से जुड़ा हुआ है? आइए इस ऐतिहासिक स्थल के अनकहे सच को उजागर करें।
 | 
कनॉट प्लेस: दिल्ली के दिल में छिपे रहस्य

कनॉट प्लेस का अनकहा सच

कनॉट प्लेस का अनकहा सच: भारत की राजधानी दिल्ली का कनॉट प्लेस, जिसे सीपी के नाम से जाना जाता है, शहर की सबसे जीवंत जगहों में से एक है। यहां की इमारतों की वास्तुकला और इस स्थान से जुड़ी कहानियां बेहद दिलचस्प हैं। सफेद रंग की इन इमारतों में कई प्रसिद्ध दुकानें हैं, जिनमें से कई पीढ़ियों से चल रही हैं और सभी किराए पर हैं। लेकिन सवाल यह है कि ये किराया किसे दिया जाता है और कनॉट प्लेस की असली संपत्ति किसकी है? आइए जानते हैं इस प्रसिद्ध स्थान से जुड़े कुछ अनसुने रहस्यों के बारे में।


कनॉट प्लेस का रहस्य क्या है?

कनॉट प्लेस का इतिहास ब्रिटिश राज से जुड़ा हुआ है। इसे एक ब्रिटिश आर्किटेक्ट, रॉबर्ट टोर रसेल द्वारा डिज़ाइन किया गया था। यह स्थान ब्रिटेन के रॉयल क्रिसेंट मार्केट से प्रेरित है और इसका नाम ब्रिटिश शाही परिवार के एक सदस्य, ड्यूक ऑफ कनॉट पर रखा गया है।


कनॉट प्लेस किसकी संपत्ति है?

कनॉट प्लेस, जो 1929 से 1933 के बीच बना, वास्तव में किसी एक व्यक्ति की संपत्ति नहीं है। यह भारत सरकार की भूमि पर स्थित है। इस क्षेत्र में कई इमारतों का स्वामित्व निजी हाथों में है, लेकिन कानूनी रूप से यहां भारत सरकार का अधिकार है। 1947 में स्वतंत्रता के बाद, कनॉट प्लेस की अधिकांश संपत्तियां सरकार के अधीन आ गईं।


यह दिल्ली की सबसे महंगी मार्केट मानी जाती है, जहां दुकानों का किराया स्थान के अनुसार भिन्न होता है। यहां के दुकानदार दस्तावेजों के अनुसार करोड़ों में किराया चुकाते हैं। हर वीकेंड पर यहां भारी भीड़ होती है, जिससे दुकानों की रौनक बनी रहती है और दुकानदारों की अच्छी कमाई होती है। यहां कई पारंपरिक दुकानें भी हैं, जो पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र हैं।