कमलनाथ ने मध्यप्रदेश की राजनीति में बदलाव पर किया बड़ा खुलासा

कमलनाथ का खुलासा
कमलनाथ का खुलासा: मध्यप्रदेश की राजनीतिक स्थिति में लगभग साढ़े पांच साल पहले एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ था। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके 22 समर्थक विधायकों ने अपनी पार्टी बदलकर सरकार को गिरा दिया था। यह बात लोगों के लिए समझना मुश्किल थी कि 15 साल बाद सत्ता में लौटने के बावजूद सरकार केवल 15 महीने में क्यों गिर गई। हालांकि, इसके बाद कई कारण सामने आए।
हाल ही में, दिग्विजय सिंह ने एक पॉडकास्ट साक्षात्कार में इस पुरानी घटना को फिर से उजागर किया। उन्होंने शनिवार को कहा कि सरकार को बचाने के उनके प्रयासों के बावजूद, सिंधिया और कमलनाथ के बीच व्यक्तिगत मतभेदों के कारण कांग्रेस शासन समाप्त हो गया। इसके बाद कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी साझा किया।
5 साल बाद की स्वीकार्यता
5 साल बाद की स्वीकार्यता
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने पांच साल बाद एक महत्वपूर्ण बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि उस समय सरकार केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के कारण नहीं गिरी थी, बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की धारणा थी कि सरकार दिग्विजय सिंह द्वारा संचालित हो रही थी। इस बात को उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि पुरानी बातों पर चर्चा करने का कोई लाभ नहीं है, लेकिन यह सच है कि उस समय सिंधिया को यह लगा था कि सरकार दिग्विजय चला रहे हैं। इस कारण वे कांग्रेस से अलग हो गए। कमलनाथ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राहुल गांधी नए जिला अध्यक्षों से मिलकर कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश में 2020 में मेरे नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने को लेकर हाल ही में कुछ बयानबाजी की गई है।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 24, 2025
मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फ़ायदा नहीं। लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि…
दिग्विजय सिंह का बयान
दिग्विजय सिंह का बयान
दिग्विजय सिंह ने अपने पॉडकास्ट साक्षात्कार में कई पुरानी घटनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि सिंधिया ने एक व्यवसायी के साथ डिनर के दौरान कमलनाथ को ग्वालियर और चंबल से संबंधित समस्याओं की एक सूची दी थी। जब इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्हें लगा कि उनका प्रभाव कम हो रहा है। इसके बाद कांग्रेस में संतुलन बिगड़ गया और उन्होंने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस अल्पमत में आ गई और शिवराज सिंह की सरकार फिर से स्थापित हो गई।