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कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व संघर्ष: क्या खड़गे का निर्णय होगा निर्णायक?

कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान ने राजनीतिक हलचल को बढ़ा दिया है। डीके शिवकुमार के समर्थक दिल्ली में सक्रिय हैं, जबकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के अगले कदम पर सभी की नजरें हैं, जो तय करेंगे कि पार्टी इस संकट को कैसे संभालेगी। क्या कांग्रेस में नेतृत्व संघर्ष और गहरा होगा? जानिए पूरी कहानी।
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कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व संघर्ष: क्या खड़गे का निर्णय होगा निर्णायक?

बेंगलुरु में राजनीतिक हलचल


बेंगलुरु: कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। मंगलवार को बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक गतिविधियों का दौर जारी रहा। यह स्पष्ट है कि पार्टी के भीतर की असहमति अब छिपी नहीं रह गई है, बल्कि खुलकर सामने आ गई है।


दिल्ली में शिवकुमार के समर्थकों की सक्रियता

डिप्टी मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के समर्थन में खड़े छह से आठ विधायक देर रात दिल्ली पहुंचे। इसे हाईकमान पर दबाव बढ़ाने की नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। पिछले एक सप्ताह में शिवकुमार के समर्थकों का दिल्ली जाना यह तीसरी बार है, जो असंतोष की गंभीरता को दर्शाता है।


ये विधायक कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात के लिए समय मांग रहे हैं और उनकी मांग है कि पार्टी नेतृत्व से जुड़े मुद्दों और शिवकुमार की भूमिका पर स्पष्टता दी जाए। उनके अनुसार, संवाद की कमी के कारण असंतोष बढ़ा है।


खड़गे का बेंगलुरु में रुकना

इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का अचानक दिल्ली जाने का कार्यक्रम रद्द कर बेंगलुरु में रुकना राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, कई मंत्री और वरिष्ठ नेता उनसे व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं। यह संकेत देता है कि हाईकमान पहले राज्य में स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है।


सिद्धारमैया की रणनीति

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी अपनी रणनीति को मजबूत करने का संकेत दिया है। मंगलवार सुबह उन्होंने अपने कावेरी आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई, जिसमें मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर, एचसी महादेवप्पा, जमीर अहमद खान और उनके कानूनी सलाहकार एएस पोन्ना शामिल थे। यह बैठक लगभग आधे घंटे चली।


इस मुलाकात को शिवकुमार के समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों के खिलाफ सीएम का जवाबी कदम माना जा रहा है। बैठक के बाद सिद्धारमैया चिकबल्लापुर के लिए रवाना हुए।


दोनों धड़ों के बीच बढ़ती दूरी

दिल्ली में शिवकुमार समर्थकों की मौजूदगी और बेंगलुरु में सिद्धारमैया की बैठकें इस बात का संकेत हैं कि कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर तनाव बढ़ चुका है। सिद्धारमैया अपने समर्थक नेताओं के साथ तालमेल बढ़ाकर अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हैं, जबकि शिवकुमार गुट लगातार दिल्ली में ताकत दिखाकर हाईकमान को निर्णय लेने के लिए मजबूर करना चाहता है।


खड़गे का निर्णय होगा निर्णायक

अब सभी की नजरें मल्लिकार्जुन खड़गे पर टिकी हैं। उनके अगले कदम से यह तय होगा कि पार्टी इस उभरते संकट को संभाल लेगी या फिर नेतृत्व संघर्ष और गहरा होकर कांग्रेस के लिए बड़े राजनीतिक खतरे का रूप ले लेगा।


यह स्पष्ट है कि कर्नाटक कांग्रेस में स्थिति सामान्य नहीं है और आने वाले दिनों में राजनीतिक हलचल और बढ़ सकती है।