कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को मिली MUDA मामले में क्लीन चिट, विवाद का अंत

सिद्धारमैया को मिली क्लीन चिट
सिद्धारमैया को MUDA मामले में मिली क्लीन चिट: कर्नाटक की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, राज्य मंत्रिमंडल ने न्यायमूर्ति पी.एन. देसाई आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। इस रिपोर्ट में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा भूखंड आवंटन से जुड़े विवादों में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके परिवार को निर्दोष पाया गया है। आयोग की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।
पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी.एन. देसाई ने 31 जुलाई को अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को सौंपी थी, जिसमें दो खंड शामिल थे। कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने बताया कि आयोग ने मुख्यमंत्री और उनके परिवार पर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है। हालांकि, रिपोर्ट में कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी की गई है, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
आयोग ने आरोपों को किया खारिज
आयोग ने आरोपों को किया खारिज
यह मामला मुख्य रूप से सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बी.एम. से संबंधित था, जिन्हें कसारे गांव में 3.16 एकड़ भूमि देने के बदले MUDA की 50:50 योजना के तहत 14 भूखंड आवंटित किए गए थे। आरोप था कि इन प्लॉटों की कीमत उनकी मूल भूमि से कहीं अधिक थी और पार्वती का कानूनी स्वामित्व भी स्पष्ट नहीं था। लेकिन आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई अवैधता नहीं है।
यह विवाद 2006 से 2024 के बीच MUDA के कार्यों से जुड़ा रहा। इस दौरान कई बार अनियमितताओं के आरोप लगे। लोकायुक्त पुलिस ने पहले ही इस मामले की जांच की थी और सबूतों के अभाव में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती, रिश्तेदार मल्लिकार्जुन स्वामी और अन्य को बरी कर दिया था। आयोग की रिपोर्ट ने भी इस निष्कर्ष को दोहराया।
सिद्धारमैया और उनके परिवार पर लगे आरोप खत्म
सिद्धारमैया और उनके परिवार पर लगे आरोप खत्म
सरकार द्वारा रिपोर्ट को स्वीकार करने के बाद, सिद्धारमैया और उनके परिवार पर लगे सभी आरोप समाप्त हो गए हैं। अब सरकार का ध्यान उन अधिकारियों पर कार्रवाई करने पर होगा, जिनकी भूमिका पर आयोग ने सवाल उठाए हैं। इस निर्णय ने मुख्यमंत्री और उनके परिवार को बड़ी राजनीतिक राहत दी है और लंबे समय से चल रहे विवाद का अंत कर दिया है।