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कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता संघर्ष: क्या डीके शिवकुमार बनेंगे अगले मुख्यमंत्री?

कर्नाटक में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सत्ता समझौते को लेकर तनाव बढ़ रहा है। नवंबर 2024 में संभावित सत्ता हस्तांतरण की चर्चा हो रही है, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। क्या कांग्रेस छत्तीसगढ़ जैसी गलती दोहराएगी? जानें इस राजनीतिक संघर्ष की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
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कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता संघर्ष: क्या डीके शिवकुमार बनेंगे अगले मुख्यमंत्री?

कर्नाटक में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति गरमाई

कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर की राजनीति एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच 'ढाई-ढाई साल के सत्ता समझौते' को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, नवंबर 2024 में सिद्धारमैया के कार्यकाल के समाप्त होते ही डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाएं चर्चा में हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।


फीडबैक और समीक्षा बैठकों का दौर

कर्नाटक में आलाकमान की निगरानी में फीडबैक और समीक्षा बैठकों का सिलसिला जारी है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला विधायकों और ज़िलाध्यक्षों से व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं। ये मुलाकातें सत्ता हस्तांतरण की संभावनाओं को भी दर्शा रही हैं, जिससे डीके शिवकुमार के पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है।


सत्ता हस्तांतरण की संभावनाएं

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला की बैठक में ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले पर सहमति बनी थी। इसी रणनीति के तहत विधायकों से फीडबैक लिया जा रहा है, ताकि नवंबर में संभावित बदलाव से पहले पार्टी के भीतर सहमति बनाई जा सके।


खरगे और राहुल की भूमिका

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में कर्नाटक दौरे के दौरान मुख्यमंत्री बदलने की संभावना को न तो खारिज किया और न ही स्वीकार किया। वहीं, राहुल गांधी इस घटनाक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, राहुल को डीके शिवकुमार के नाम पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अंतिम निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि कितने विधायक शिवकुमार के साथ खड़े होते हैं।


पर्दे के पीछे का संघर्ष

दोनों खेमे सत्ता के लिए दावेदारी कर रहे हैं। सिद्धारमैया मार्च 2026 तक पद पर बने रहना चाहते हैं, जबकि शिवकुमार एक दिन भी इंतजार नहीं करना चाहते। इसीलिए उन्होंने अब तक प्रदेश अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ा है। सूत्र बताते हैं कि डीके शिवकुमार ने लगभग 100 विधायकों का समर्थन हासिल कर लिया है।


क्या कांग्रेस छत्तीसगढ़ जैसी गलती दोहराएगी?

राजनीतिक विश्लेषक इसे छत्तीसगढ़ मॉडल से जोड़ रहे हैं, जहां टीएस सिंह देव को वादा होने के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। सवाल यह है कि क्या कर्नाटक में भी ऐसा ही होगा या कांग्रेस इस बार अपने वादे पर खरा उतरेगी?


दलित चेहरों की आवाजें

गृह मंत्री डॉ. जी परमेश्वर ने दलित चेहरे के तौर पर सीएम बनने का दावा किया है, लेकिन हालिया विवादों के कारण उनका नाम कमजोर पड़ गया है। कुछ नेता आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ओबीसी चेहरा सिद्धारमैया को पद पर बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं।


सत्ता की खींचतान

इस खींचतान में डीके शिवकुमार का ध्यान समर्थन जुटाने पर है, जबकि सिद्धारमैया भी अपने समर्थकों को एकजुट करने में लगे हैं। यदि उनके समर्थक विधायक बगावत करते हैं, तो राहुल गांधी को एक मध्य मार्ग निकालना पड़ सकता है, जिससे डीके शिवकुमार का सपना अधूरा रह सकता है।