कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर सत्ता संघर्ष: सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच विवाद

कांग्रेस पार्टी का कर्नाटक में संकट
कांग्रेस पार्टी के नेता कर्नाटक के मुद्दे को टालने की कोशिश कर रहे हैं। वे विवादों को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की एक मुस्कुराती हुई तस्वीर साझा कर यह दावा किया जा रहा है कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है। सत्ता के लिए चल रही प्रतिस्पर्धा को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। एक ओर, पार्टी ने महासचिव रणदीप सुरजेवाला को विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों से बातचीत के लिए भेजा है, जबकि दूसरी ओर यह कहा जा रहा है कि कोई विवाद नहीं है। एक तरफ यह कहा जा रहा है कि सत्ता में ढाई साल की हिस्सेदारी का कोई मुद्दा नहीं है, जबकि दूसरी ओर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री का निर्णय आलाकमान करेगा। स्पष्ट है कि स्थिति उतनी सरल नहीं है जितना बताया जा रहा है। इसलिए कांग्रेस को इस पर जल्द निर्णय लेना होगा, क्योंकि डीके शिवकुमार नवंबर से आगे इंतजार करने के मूड में नहीं हैं.
सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच बढ़ता तनाव
सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच तलवारें खींची हुई हैं और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के कहने के बावजूद यह स्थिति नहीं बदल रही है। हाल ही में, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया दिल्ली में थे, जहां वे तीन दिन तक रहे। इस दौरान कोई सरकारी कार्य नहीं था। आमतौर पर, सीएम और डिप्टी सीएम दोनों एक साथ होते हैं, लेकिन सिद्धारमैया अकेले ही दिल्ली गए और पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिले। दिल्ली से लौटने के बाद, सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने संकेत दिया कि सितंबर के बाद राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव होगा।
भविष्य की राजनीति और केंद्रीय एजेंसियों की जांच
राजन्ना ने जो बात नहीं कही, वह मंत्री एचए इकबाल हुसैन ने स्पष्ट रूप से कह दी। उन्होंने कहा कि अगले दो से तीन महीनों में डीके शिवकुमार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेंगे। सिद्धारमैया के करीबी मंत्री एचसी महादेवप्पा ने इसका जवाब देते हुए कहा कि असली स्थिति सभी को पता है। राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली नहीं है। इसके बाद सुरजेवाला को बेंगलुरू भेजा गया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हर हफ्ते बेंगलुरू जाते हैं और पार्टी नेताओं से चर्चा करते हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल रहा है। इस बीच, केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई थम गई है। सिद्धारमैया, शिवकुमार और जी परमेश्वरा तीनों नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं, लेकिन रहस्यमय तरीके से सभी जांच रुकी हुई हैं। क्या यह कांग्रेस के भीतर चल रहे सत्ता संघर्ष का परिणाम है? ध्यान देने योग्य है कि यदि किसी एक या दो के खिलाफ एजेंसी की जांच तेज होती है, तो उनकी दावेदारी कमजोर हो जाएगी।