कर्नाटक में कांग्रेस के मंत्री केएन राजन्ना का इस्तीफा: क्या है इसकी वजह?

कर्नाटक की राजनीति में नया मोड़
कर्नाटक की राजनीतिक स्थिति में सोमवार को एक महत्वपूर्ण बदलाव आया, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह कदम तब उठाया गया जब उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए "वोट चोरी" के आरोपों की खुलकर आलोचना की। उनके इस बयान ने कांग्रेस नेतृत्व को नाराज़ कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया।
आलाकमान की सख्ती का असर
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान, विशेषकर दिल्ली में मौजूद शीर्ष नेता, राजन्ना की आलोचना से बेहद असंतुष्ट थे। पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को निर्देश दिया कि राजन्ना को तुरंत मंत्रिपद से हटाया जाए। हालांकि, राजन्ना ने पहले इस्तीफा देने से इनकार किया, यह कहते हुए कि वे मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे, लेकिन शाम होते-होते उन्होंने स्वेच्छा से अपना इस्तीफा सौंप दिया।
मुख्यमंत्री और राजन्ना के बीच बातचीत
कर्नाटक विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और केएन राजन्ना के बीच एक निजी बैठक हुई, जिसमें स्थिति को सुलझाने का प्रयास किया गया। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि राजन्ना खुद इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उन्हें बर्खास्त किया जाएगा। इसके कुछ समय बाद, राजन्ना ने मुख्यमंत्री को अपना त्यागपत्र सौंप दिया।
राहुल गांधी के खिलाफ बयान
केएन राजन्ना का विवादास्पद बयान 10 अगस्त को तुमकुरु में आया था। उन्होंने राहुल गांधी के उस आरोप पर सवाल उठाए जिसमें राहुल ने कर्नाटक में वोटर डेटा की हेराफेरी का आरोप लगाया था। राजन्ना ने कहा कि ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए। वोटर लिस्ट तो कांग्रेस शासनकाल में तैयार की गई थी। उस समय किसी ने कुछ नहीं कहा। अब जब चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, तो ऐसे आरोप लगाने का क्या औचित्य है? उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाजपा ने गलत किया है, लेकिन यह सब कांग्रेस की निगरानी में ही हुआ।
कांग्रेस में असंतोष की स्थिति
राजन्ना के बयानों से यह संकेत मिला कि कांग्रेस के भीतर भी कुछ नेताओं में राहुल गांधी की रणनीति और बयानबाज़ी को लेकर मतभेद है। हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राजन्ना का इस्तीफा इसी का परिणाम था।