कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के संकट और केंद्रीय एजेंसियों की जांच

कांग्रेस पार्टी का संकट
कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। पिछले दो वर्षों में सरकार के लिए हालात काफी तनावपूर्ण रहे हैं। पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर मतभेद हैं, और मुख्यमंत्री तथा उप मुख्यमंत्री एक-दूसरे को कमजोर करने में लगे हुए हैं। इसी बीच, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (आरसीबी) की आईपीएल जीत का जश्न मातम में बदल गया, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का गुट उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को निशाना बना रहा है। इस आंतरिक संघर्ष के बीच, कांग्रेस पार्टी को केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना भी करना पड़ रहा है।
कांग्रेस के तीन प्रमुख नेता, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और गृह मंत्री जी परमेश्वरा, ईडी की जांच के दायरे में हैं। पहले केवल शिवकुमार ही जांच के घेरे में थे, लेकिन अब सिद्धारमैया और परमेश्वरा भी इस जांच का सामना कर रहे हैं।
शिवकुमार कई वर्षों से सीबीआई और ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं और जेल भी जा चुके हैं। सिद्धारमैया को पहले इस तरह की जांच से बचा लिया गया था, लेकिन अब उनकी पत्नी को आवंटित की गई जमीन के मामले में उन पर भी जांच का शिकंजा कस गया है। हालांकि लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दी है, लेकिन ईडी की जांच उनके लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
जी परमेश्वरा का नाम भी अब इस मामले में जुड़ गया है। हाल ही में एक आईपीएस अधिकारी की बेटी रान्या राव सोने की तस्करी के मामले में फंसी थी, और उसकी जांच में एजेंसी को परमेश्वरा के संस्थानों का नाम मिला है। इसके बाद, ईडी ने उनके कई संस्थानों पर छापे मारे हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। भाजपा के नेता प्रहलाद जोशी का कहना है कि यह कार्रवाई कांग्रेस की आंतरिक राजनीति का परिणाम है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेताओं ने ही परमेश्वरा के बारे में जानकारी ईडी को दी थी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार पर भी जमीन हड़पने का आरोप लगा है, लेकिन यह मामला अभी केंद्रीय एजेंसियों तक नहीं पहुंचा है।