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कर्नाटक में जाति गणना पर कांग्रेस का निर्णय: विवाद और संभावनाएँ

कर्नाटक में जाति गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद कांग्रेस ने इसे लागू करने में रोक क्यों लगाई? क्या यह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच टकराव का परिणाम है? जानें इस विवाद के पीछे के कारण और आगे की संभावनाएँ। लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों की नाराजगी के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की असहमति ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है।
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कर्नाटक में जाति गणना पर कांग्रेस का निर्णय: विवाद और संभावनाएँ

कांग्रेस का जाति गणना पर निर्णय

कर्नाटक में जाति गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद कांग्रेस ने इसे लागू करने में रोक क्यों लगाई, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। क्या यह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच टकराव का परिणाम है, या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की नाराजगी का? 10 अप्रैल को जब जाति गणना की रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई, तब से सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच मतभेद बढ़ गए हैं। इस गणना में वोक्कालिगा समुदाय की आबादी 11 प्रतिशत बताई गई, जिससे यह समुदाय असंतुष्ट हो गया। उन्हें मनाने के लिए शिवकुमार ने विभिन्न वोक्कालिगा समूहों के साथ बैठकें कीं। उल्लेखनीय है कि डीके शिवकुमार स्वयं वोक्कालिगा हैं और उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं को देखते हुए इस समुदाय का एक बड़ा हिस्सा एचडी देवगौड़ा के परिवार और जेडीएस को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुआ था। लेकिन न तो शिवकुमार मुख्यमंत्री बने और न ही वोक्कालिगा की आबादी अपेक्षित रूप से अधिक बताई गई।


लिंगायत समुदाय भी असंतुष्ट है, क्योंकि उनकी आबादी केवल 10 प्रतिशत बताई गई, जबकि वे इसे 30 प्रतिशत मानते हैं। ओबीसी की आबादी सबसे अधिक है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की जाति कुरुबा की संख्या भी बढ़ी हुई है। हाल ही में खबर आई थी कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे नाराज थे, क्योंकि राज्य सरकार अनुसूचित जातियों की गिनती अलग से कर रही थी, जिसमें उप जातियों को अलग-अलग गिना जा रहा था। इसके अलावा, दलितों की उपजातियों में कुछ अति पिछड़ी जातियों को भी शामिल किया जा रहा था। कर्नाटक दौरे के दौरान खड़गे ने इस पर अपनी आपत्ति जताई थी। इस स्थिति को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा था कि उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार असंतुष्ट हैं, लिंगायत समुदाय खुश नहीं है, और कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे भी नाराज हैं, इसलिए जाति गणना का मामला आगे नहीं बढ़ेगा। अंततः वही हुआ, और इस पर रोक लगा दी गई। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है। रोक लगाने को डीके शिवकुमार की सफलता के रूप में भी देखा जा रहा है।