कर्नाटक में बैलेट पेपर से चुनाव कराने का प्रस्ताव पास
बैलेट पेपर से चुनाव की मांग
कर्नाटक में बैलेट पेपर से चुनाव: दुनिया के अधिकांश देशों में अब बड़े चुनाव ईवीएम या इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से होते हैं। इस बीच, कर्नाटक में स्थानीय निकाय चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से कराने की मांग उठी है। हाल ही में, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने इस संबंध में एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। राज्य मंत्रिमंडल ने ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से चुनाव कराने का निर्णय लिया और इसे राज्य चुनाव आयोग को सिफारिश के रूप में भेजा। अंतिम निर्णय चुनाव आयोग द्वारा लिया जाएगा। इस बात की जानकारी कर्नाटक के कानून और संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट बैठक के बाद दी।
कानून मंत्री एचके पाटिल का बयान
कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि लोगों का ईवीएम पर विश्वास कम हो रहा है। बैलेट पेपर से चुनाव कराने का यह निर्णय सोच-समझकर लिया गया है। उन्होंने बताया कि यह निर्णय बेंगलुरु में पंचायतों और पांच नए नगर निगमों के चुनावों से पहले मतदाता सूची के एसआईआर की सिफारिश के साथ आया है। इस फैसले की विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने आलोचना की, जबकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अन्य देशों का उदाहरण देते हुए इस कदम का समर्थन किया, जहां बैलेट पेपर का उपयोग किया जाता है।
बैलेट पेपर से चुनाव का वैश्विक परिदृश्य
- अमेरिका में बैलेट पेपर पर काफी निर्भरता है। 2022 के मध्यावधि चुनाव में लगभग 70% मतदाताओं ने हाथ से चिह्नित मतपत्रों का उपयोग किया। कई राज्यों में चुनाव के बाद ऑडिट अनिवार्य हैं, जो कागज़ के रिकॉर्ड पर निर्भर करते हैं।
- यूके में मुख्य रूप से बैलेट पेपर का उपयोग होता है, हालांकि मतगणना में सहायता के लिए कुछ डिजिटल उपकरणों का भी उपयोग किया जाता है।
- जर्मनी ने 2009 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया और बैलेट पेपर का उपयोग शुरू किया। नीदरलैंड ने भी 2006 में इसी कारण से ईवीएम के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था।