कर्नाटक में सत्ता-साझेदारी विवाद: क्या फिर से उठेगा 'रोटेशनल सीएम' का मुद्दा?
कर्नाटक में सत्ता-साझेदारी का विवाद फिर से गरमाया
नई दिल्ली: कर्नाटक में सत्ता-साझेदारी को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के समर्थक दस कांग्रेस विधायक अचानक दिल्ली पहुंच गए हैं। उनका उद्देश्य पार्टी नेतृत्व पर 2023 में सरकार गठन के समय किए गए ढाई साल के फॉर्मूले को लागू करने का दबाव बनाना है। यह घटनाक्रम उस दिन सामने आया जब सिद्धारमैया सरकार ने अपने ढाई साल पूरे किए, जिससे नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें फिर से तेज हो गईं।
आलाकमान से मुलाकात की तैयारी
शिवकुमार के करीबी माने जाने वाले ये विधायक दोपहर में राजधानी पहुंचे और शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा शुक्रवार सुबह संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि दो ढाई साल पहले किया गया वादा अब पूरा किया जाना चाहिए।
गुरुवार को यात्रा करने वालों में दिनेश गूलीगौड़ा, रवि गनीगा और गुब्बी वासु शामिल थे। शुक्रवार को अनेकल शिवन्ना, नेलमंगला श्रीनिवास, इकबाल हुसैन, कुनिगल रंगनाथ, शिवगंगा बसवराजू और बालकृष्ण के शामिल होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि सप्ताहांत में और भी विधायक दिल्ली पहुंच सकते हैं। इकबाल हुसैन ने स्पष्ट किया कि वे कोई मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि शिवकुमार के समर्थन में आए हैं।
खड़गे आवास पर सुरक्षा में हलचल
सूत्रों के अनुसार, खड़गे खुद इन विधायकों से बात करना चाहते थे और उन्होंने उन्हें अपने घर बुलाया। लेकिन सुरक्षा टीम को इस बैठक की पूर्व सूचना नहीं थी, जिससे थोड़ी देर के लिए गेट पर रोक लग गई। बाद में स्थिति स्पष्ट होने पर खड़गे ने सभी विधायकों से मुलाकात की और उनकी बातें सुनीं।
शिवकुमार ने स्थिति से किया इनकार
जब शिवकुमार से इस दिल्ली यात्रा के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। उनका कहना था कि वे किसी भी ऐसी योजना से अवगत नहीं हैं और स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण बाहर भी नहीं निकले। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई विवाद नहीं है और पार्टी ने जो ज़िम्मेदारी दी है, वह उसी के अनुसार कार्य करेंगे।
क्या फिर से उठेगा 'रोटेशनल सीएम' का मुद्दा?
यह घटनाक्रम उस पुराने मुद्दे की याद दिलाता है, जो मई 2023 में सरकार बनते ही चर्चा में था। तब मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबी खींचतान के बाद शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनने पर सहमत किया गया था। कई रिपोर्टों ने संकेत दिया था कि पार्टी ने ढाई साल बाद नेतृत्व परिवर्तन के फॉर्मूले पर सहमति बनाई थी, हालांकि कांग्रेस ने इसे कभी औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया।
सिद्धारमैया का दौरा रद्द
राजनीतिक हलचल के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चामराजनगर और मैसूर का अपना निर्धारित दौरा रद्द कर दिया और शुक्रवार सुबह बेंगलुरु लौटने का निर्णय लिया। इससे अटकलों का बाजार और गर्म हो गया। दिन में उन्होंने नवंबर क्रांति जैसी चर्चाओं को मीडिया की कल्पना बताया और कहा कि जनता ने कांग्रेस को पांच साल का जनादेश दिया है, जिसे पूरा किया जाएगा।
भाजपा का तंज
भाजपा नेता आर. अशोक ने इस स्थिति पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी छोड़ने वाले नहीं हैं और शिवकुमार चुप रहने वाले नहीं। वहीं, कुछ दिन पहले दर्जन भर कांग्रेस एमएलसी भी दिल्ली में मौजूद थे, जिससे राज्य इकाई के भीतर असंतोष गहराने की बात और पुख्ता होती है।
