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कर्नाटक स्कूल में अंडे वितरण पर अभिभावकों का विरोध

कर्नाटक के एक सरकारी स्कूल में बच्चों को अंडे बांटने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कुछ अभिभावकों ने इस पर आपत्ति जताते हुए अपने बच्चों के लिए ट्रांसफर सर्टिफिकेट की मांग की है। यह मामला राज्य सरकार की पोषण योजना के तहत अंडे वितरण के निर्णय से जुड़ा है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के बीच टकराव को उजागर करता है। जानें इस विवाद का पूरा विवरण और इसके पीछे के कारण।
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कर्नाटक स्कूल में अंडे वितरण पर अभिभावकों का विरोध

कर्नाटक में पोषण योजना पर विवाद

कर्नाटक के एक सरकारी विद्यालय में बच्चों को पोषण युक्त भोजन के तहत अंडे बांटने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। कुछ अभिभावकों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए अपने बच्चों के लिए ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) की मांग की है। यह घटना राज्य सरकार की बच्चों को बेहतर पोषण देने की योजना के बावजूद धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के बीच टकराव को उजागर करती है।


राज्य सरकार ने बच्चों में कुपोषण को कम करने और उनके विकास को बढ़ावा देने के लिए मिड-डे मील योजना के तहत अंडे वितरित करने का निर्णय लिया था। यह योजना बच्चों को आवश्यक प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।


हालांकि, कुछ अभिभावक, जिनकी धार्मिक मान्यताएं अंडे के सेवन के खिलाफ हैं, ने इस कदम का विरोध किया है। उनका कहना है कि उनके बच्चों को अंडे खाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, और यह उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। वे चाहते हैं कि उनके बच्चों को अंडे के स्थान पर कोई शाकाहारी विकल्प दिया जाए, लेकिन सरकार ने फिलहाल अंडे के वितरण को जारी रखा है।


विरोध कर रहे अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से टीसी जारी करने की मांग की है, ताकि वे अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में दाखिला दिला सकें जहां अंडे का वितरण न हो या कोई शाकाहारी विकल्प उपलब्ध हो। उनका कहना है कि यदि उनकी भावनाओं का सम्मान नहीं किया जाता, तो वे अपने बच्चों को इस स्कूल में नहीं पढ़ाना चाहते।


यह विवाद राज्य सरकार के पोषण कार्यक्रमों के लिए एक चुनौती पेश करता है। एक ओर सरकार बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही है, वहीं दूसरी ओर उसे विभिन्न समुदायों की धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का भी सामना करना पड़ रहा है।