क़तर एयरवेज में मांसाहारी भोजन परोसे जाने से शाकाहारी यात्री की मौत का मामला

क़तर एयरवेज में विवादास्पद घटना
दोहा - क़तर एयरवेज की एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान में मांसाहारी भोजन परोसे जाने के कारण एक गंभीर विवाद उत्पन्न हुआ है। इस घटना में एक 85 वर्षीय शाकाहारी यात्री की मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनके परिवार ने एयरलाइन के खिलाफ 'ग़लत तरीके से हुई मौत' का मुकदमा दायर किया है।
डॉक्टर की उड़ान में हुई मृत्यु
मृतक की पहचान डॉ. अशोक जयसिरी के रूप में हुई है, जो कैलिफ़ोर्निया के एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ थे। यह घटना जुलाई 2023 में लॉस एंजेलिस से कोलंबो (श्रीलंका) जा रही क़तर एयरवेज की उड़ान में हुई। रिपोर्ट के अनुसार, फ्लाइट अटेंडेंट्स ने डॉ. जयसिरी को शाकाहारी भोजन देने से मना कर दिया और उन्हें मांसाहारी भोजन खाने के लिए कहा। इस दौरान उन्होंने गलती से मांस का टुकड़ा निगल लिया, जो उनके गले में फंस गया, और इसी कारण उनकी उड़ान के दौरान मृत्यु हो गई।
आपात लैंडिंग का विवाद
‘द इंडिपेंडेंट’ की रिपोर्ट के अनुसार, एयरलाइन का कहना है कि विमान उस समय आर्कटिक सर्कल और महासागर के ऊपर था, इसलिए आपातकालीन लैंडिंग संभव नहीं थी। हालांकि, डॉ. जयसिरी के बेटे सूर्या जयसिरी ने मुकदमे में आरोप लगाया है कि विमान वास्तव में अमेरिका के मिडवेस्ट क्षेत्र के ऊपर उड़ान भर रहा था, जहाँ लैंडिंग संभव थी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पायलट ने समय पर निर्णय लिया होता, तो उनके पिता की जान बचाई जा सकती थी।
तीन घंटे बेहोशी के बाद मृत्यु की घोषणा
शिकायत के अनुसार, जब विमान स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग एयरपोर्ट पर उतरा, तब तक डॉ. जयसिरी लगभग 3 घंटे 30 मिनट तक बेहोश थे। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया कि उनकी मृत्यु एस्पिरेशन निमोनिया के कारण हुई, यानी भोजन या तरल पदार्थ के फेफड़ों में चले जाने से संक्रमण फैल गया था। डॉ. जयसिरी के बेटे सूर्या ने एयरलाइन पर लापरवाही और जीवन की सुरक्षा में असफलता के आरोप लगाए हैं।
क्षतिपूर्ति की मांग
उन्होंने अदालत में कहा, “एक एयरलाइन जिसने धार्मिक और आहार संबंधी प्राथमिकताओं की अनदेखी की, उसकी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए।” यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा और यात्रियों के अधिकारों पर बहस को जन्म दे चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि एयरलाइंस को यात्रियों की धार्मिक, सांस्कृतिक और आहारिक संवेदनशीलता का सम्मान करना चाहिए, विशेषकर लंबी दूरी की उड़ानों में।