कांग्रेस और तृणमूल का केरल में गठबंधन: राजनीति में उलटफेर
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
राजनीति में बदलाव की संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं। वर्तमान में, कांग्रेस पार्टी भाजपा और एनडीए के अलावा ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से सबसे अधिक विरोध का सामना कर रही है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को तृणमूल के खिलाफ भी चुनावी लड़ाई लड़नी है। हालांकि, केरल में कांग्रेस ने तृणमूल के साथ एक समझौता किया है। यहां, कांग्रेस ने ममता बनर्जी की पार्टी को यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का सहयोगी दल बना लिया है। यह कहा जा रहा है कि मुस्लिम नेता पीवी अनवर के कारण, जो पहले लेफ्ट के साथ थे और अब तृणमूल में शामिल हो गए हैं, कांग्रेस ने यह कदम उठाया है।
अब यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस को केरल में मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए किसी मुस्लिम चेहरे की आवश्यकता है? वहां मुस्लिम समुदाय का कांग्रेस के प्रति सकारात्मक रुख है। ईसाई और हिंदू वोटों के लिए लेफ्ट और भाजपा के बीच प्रतिस्पर्धा है, लेकिन मुस्लिम वोटों को लेकर कोई समस्या नहीं है। इसके अलावा, कांग्रेस के साथ पहले से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग भी है। फिर तृणमूल के साथ तालमेल बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है। आगामी चुनावों में यह मुद्दा बन सकता है कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में तृणमूल के खिलाफ है, जबकि केरल में उसके साथ है। पिछले चुनाव में लेफ्ट के साथ तालमेल का मुद्दा बना था, क्योंकि दोनों पार्टियां बंगाल में एक साथ थीं। इस पर चर्चा हो रही है कि बंगाल में भी कांग्रेस और तृणमूल के बीच तालमेल हो सकता है। यदि तृणमूल कुछ सीटें देकर तालमेल करती है, तो कांग्रेस के लिए केरल की राजनीति को सही ठहराना आसान हो जाएगा।
