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कांग्रेस की नई रणनीति: बिहार और उत्तर प्रदेश में सहयोगियों को चिंता

कांग्रेस पार्टी ने बिहार और उत्तर प्रदेश में अपनी नई रणनीति के तहत सहयोगी पार्टियों को चिंतित कर दिया है। तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करने और सीट बंटवारे की तिकड़मों से राजद के नेता आशंकित हैं। कांग्रेस का मानना है कि मुस्लिम और दलित वोटों को अपने पक्ष में लाने से अगड़ी जातियों का समर्थन भी मिलेगा। जानें, कांग्रेस की यह पहल क्यों महत्वपूर्ण है और इसके पीछे की चिंताएँ क्या हैं।
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कांग्रेस की नई रणनीति: बिहार और उत्तर प्रदेश में सहयोगियों को चिंता

कांग्रेस की नई पहल

कांग्रेस पार्टी ने अपनी दो सहयोगी पार्टियों के बीच चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। बिहार में सीटों के बंटवारे और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करने के तरीके से लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव चिंतित हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि कांग्रेस उनके कंधे पर सवार होकर अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही है, जो राजद के लिए दीर्घकालिक नुकसान का कारण बन सकता है। कांग्रेस के नेता यह दावा कर रहे हैं कि बिहार के मुस्लिम महागठबंधन को वोट देने का कारण कांग्रेस का उसमें शामिल होना है। इसी तरह, कांग्रेस ने दलित प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलित और मुस्लिम गठबंधन पर ध्यान केंद्रित किया है। राहुल गांधी की पहल पर, बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की पार्टियों ने अत्यंत पिछड़ी जातियों के लिए अलग से घोषणापत्र जारी किया, जिसमें राहुल गांधी भी उपस्थित थे।


कांग्रेस की चिंता

कांग्रेस ने यह पहल क्यों की है? इसका मुख्य कारण यह है कि पार्टी को यह चिंता है कि कहीं सवर्ण मतदाता प्रशांत किशोर के साथ न जुड़ जाएं और मुस्लिम तथा दलित उनके पास न चले जाएं, जिससे कांग्रेस के लिए राजनीतिक स्थान हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। लोकसभा चुनाव के बाद से, कांग्रेस को यह भी लग रहा है कि यदि संविधान और आरक्षण पर खतरा उत्पन्न होता है और वोट चोरी का आरोप बिहार में सफल होता है, तो वह खोई हुई जमीन वापस पा सकती है। इसी तरह, उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस ने अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को चिंतित किया है।


यूपी में कांग्रेस की गतिविधियाँ

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश को पहले पूरी तरह से छोड़ दिया था। प्रियंका गांधी वाड्रा के महासचिव रहते हुए कुछ काम हुआ, लेकिन उसके बाद पार्टी ने अपनी गतिविधियाँ कम कर दी थीं। हाल ही में राहुल गांधी की जीत के बाद, कांग्रेस में नई ऊर्जा आई है। अब, यूपी के प्रभारी अविनाश पांडेय ने कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है। कांग्रेस इस महीने किसानों का सम्मेलन आयोजित करने जा रही है और मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। पार्टी राज्य में डेढ़ लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट्स तैयार कर रही है, जो एसआईआर के दौरान काम करेंगे।


भविष्य की योजनाएँ

कांग्रेस प्रदेश, जिला, प्रखंड, मंडल और बूथ स्तर पर 20 लाख पदाधिकारियों की नियुक्ति करने की योजना बना रही है। यह संख्या कांग्रेस के कमजोर जमीनी संगठन के लिए एक चुनौती है, लेकिन पार्टी का लक्ष्य अधिक से अधिक सक्रिय सदस्यों को जोड़ना है। अगले डेढ़ साल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसमें कांग्रेस निश्चित रूप से अधिक सीटों की मांग करेगी और सपा को मुश्किल में डालने का प्रयास करेगी।