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कांग्रेस की संगठनात्मक चुनौतियाँ: प्रियंका गांधी की भूमिका पर सवाल

कांग्रेस ने इस वर्ष को संगठन का वर्ष घोषित किया था, लेकिन पार्टी की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। प्रियंका गांधी को जिम्मेदारी नहीं दी गई है, जबकि बिहार चुनाव नजदीक आ रहा है। क्या कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत कर पाएगी? जानें इस लेख में कांग्रेस की चुनौतियों और आगामी चुनावों की तैयारी के बारे में।
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कांग्रेस की संगठनात्मक चुनौतियाँ: प्रियंका गांधी की भूमिका पर सवाल

कांग्रेस की नकल और संगठन की स्थिति

कांग्रेस ने बीजेपी की नीतियों की नकल करते हुए अपने नए कार्यालय में पत्रकारों की एंट्री को सीमित कर दिया है। हालांकि, जब बीजेपी ने ऐसा किया था, तो उसने बाद में एंट्री खोल दी। अब सवाल यह है कि कांग्रेस अपने नए मुख्यालय में किस बात को छुपा रही है, जिससे वह किसी को भी अंदर नहीं आने दे रही। पत्रकार प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाते हैं, लेकिन उन्हें तुरंत वापस भेज दिया जाता है। यह निश्चित रूप से संगठन में कुछ नया है, लेकिन प्रियंका गांधी को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है!


कांग्रेस ने इस वर्ष को संगठन का वर्ष घोषित किया था। क्या वास्तव में संगठन बन गया है? प्रियंका गांधी, जिन्हें करिश्माई नेता माना जाता था, को क्या कोई कार्य मिला है?


बेलगावी, कर्नाटक में दिसंबर 2024 के अंत में कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई थी। वहां यह निर्णय लिया गया कि 2025 को संगठन का वर्ष बनाया जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा था कि 2025 में बिहार चुनाव तक कोई चुनाव नहीं है। बिहार में चुनाव साल के अंत में होंगे। हमारे पास संगठन बनाने का पर्याप्त समय है।


अब साल का काफी समय बीत चुका है और बिहार चुनाव नजदीक आ गया है। राहुल गांधी वहां की यात्रा कर चुके हैं और अगले हफ्ते 24 सितंबर को कांग्रेस सीडब्ल्यूसी की बैठक पटना में होने जा रही है। इस बैठक में सभी प्रमुख नेता शामिल होंगे, जो बिहार चुनाव की तैयारी का संकेत है। चुनाव संभवतः नवंबर में होंगे।


पिछली बार 2020 में चुनाव तीन चरणों में हुए थे। इस बार भी ऐसा ही होने की संभावना है। 2015 में पांच चरणों में चुनाव होने पर बीजेपी हार गई थी। यदि राजद इस बार मुख्यमंत्री बना लेती है, तो नीतीश कुमार की राजनीति समाप्त हो जाएगी।


कांग्रेस का यह दावा कि यह वर्ष संगठन का वर्ष होगा, अब बिहार चुनाव पर आकर रुक गया है। संगठन की स्थिति क्या है? बिहार का उदाहरण लेते हुए, एक मित्र ने बताया कि गांव में एक बुजुर्ग महिला ने एक पैसे वाले व्यक्ति से कहा कि इंदिरा गांधी ने गरीबों के कर्ज माफ कर दिए थे। यह संगठन का प्रभाव था।


कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के बाद कहा था कि संगठन की कमी है। फिर भी, क्या कांग्रेस का संगठन बन गया है? फरवरी में नए महासचिवों और इंचार्जों की पहली बैठक हुई थी, जिसमें केवल दो नए जनरल सेक्रेटरी थे।


अप्रैल में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, जहां खरगे ने कहा कि बिना संगठन कुछ नहीं हो सकता। अब साल खत्म होने को है, लेकिन संगठन की स्थिति क्या है? खुद खरगे को अध्यक्ष पद पर तीन साल होने जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने भी दफ्तर में बैठना शुरू नहीं किया।


कांग्रेस का नया मुख्यालय इंदिरा भवन है, लेकिन वहां जनता और कार्यकर्ताओं का आना मना है। पत्रकारों के लिए भी एंट्री सीमित कर दी गई है।


कांग्रेस की नकल बीजेपी की तरह हो रही है। प्रियंका गांधी को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है, जबकि वे पार्टी की सबसे करिश्माई नेता मानी जाती हैं।


क्यों? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। संगठन का साल खत्म हो रहा है, लेकिन प्रियंका गांधी के लिए कोई जगह नहीं है!