कांग्रेस ने जनगणना में देरी पर उठाए सवाल, गृह मंत्रालय ने दी स्पष्टीकरण

जनगणना में देरी पर कांग्रेस की चिंता
जनगणना: केंद्र सरकार द्वारा जनगणना में हो रही देरी को लेकर कांग्रेस ने तीखे सवाल उठाए हैं। विपक्ष का कहना है कि 2021 में होने वाली जनगणना अभी तक शुरू नहीं हुई, जिससे सरकारी योजनाएं और नीतियां प्रभावित हो रही हैं। जवाब में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 महामारी के कारण यह प्रक्रिया टल गई थी, लेकिन अब 2025 से जनगणना शुरू होगी और 2027 तक पूरी हो जाएगी। मंत्रालय ने यह भी बताया कि जातिगत गणना पर फैसला सभी पक्षों से चर्चा के बाद लिया जाएगा। यह मुद्दा अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।
कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2021 की जनगणना में 23 महीनों से ज्यादा की देरी हो चुकी है और सरकार ने इसके लिए कोई ठोस कारण नहीं बताया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस बार जनगणना में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की जातिगत गणना शामिल होगी।
जयराम रमेश ने मांग की है कि सरकार जल्द सर्वदलीय बैठक बुलाए ताकि इस पर स्पष्टता आए। कांग्रेस नेता अजय माकन ने भी राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया, जिसमें उन्होंने कहा कि 2011 के पुराने आंकड़ों के आधार पर नीतियां बनाना प्रभावी नहीं है, जिससे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाखों लोग लाभ से वंचित हो रहे हैं।
गृह मंत्रालय की सफाई
गृह मंत्रालय ने जवाब में कहा कि कोविड-19 महामारी ने जनगणना की तैयारियों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। 2020 में पहला चरण शुरू होने वाला था, लेकिन लॉकडाउन और स्वास्थ्य संकट के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। मंत्रालय ने बताया कि अब जनगणना की प्रक्रिया को तेज करने के लिए रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण का कार्यकाल अगस्त 2026 तक बढ़ाया गया है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि 16 जून 2025 से जनगणना शुरू होगी और 1 मार्च 2027 तक पूरी हो जाएगी, जिसके लिए आधिकारिक अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित होगी।
डिजिटल जनगणना की तैयारी
गृह मंत्रालय ने संकेत दिया है कि 2025 की जनगणना भारत की पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें डेटा संग्रह और विश्लेषण को तेज करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग होगा। इसमें जनसांख्यिकीय, सामाजिक, और आर्थिक आंकड़ों के साथ-साथ धर्म और वर्ग से जुड़े सवाल शामिल हो सकते हैं। मंत्रालय ने बताया कि जातिगत गणना पर अंतिम फैसला कैबिनेट और राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा। यह कदम लोकसभा सीटों के परिसीमन और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।
सरकारी योजनाओं पर प्रभाव
कांग्रेस ने दावा किया कि जनगणना में देरी से सरकारी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। 2011 की जनगणना के बाद जनसंख्या में करीब 25% की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन पुराने आंकड़ों के आधार पर नीतियां बनाना लाखों लोगों को लाभ से वंचित कर रहा है।
पार्टी ने यह भी बताया कि जनगणना के लिए आवंटित निधि का बड़ा हिस्सा (2022 में 66%, 2023 में 85%, और 2024 में 58%) उपयोग नहीं हुआ, जिससे सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। मंत्रालय ने जवाब में कहा कि जनगणना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसके लिए व्यापक संसाधनों और प्रशासनिक तैयारियों की जरूरत है।