कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए नामित करने में की देरी

कांग्रेस की रणनीति और तेजस्वी यादव का मामला
कांग्रेस पार्टी ने राजद के दबाव के बावजूद तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से इनकार कर दिया है। यह निर्णय एक रणनीतिक योजना के तहत लिया गया है। राहुल गांधी ने अररिया में तेजस्वी का नाम नहीं लिया, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ है। कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण पार्टी ने इस घोषणा को टाल दिया है।
कांग्रेस का मानना है कि पिछले चुनाव में जिन 70 सीटों पर उसने चुनाव लड़ा था, उनमें से अधिकतम सीटें अपने पास रखना चाहती है। पार्टी को यह भी पता है कि इस बार उसे 70 सीटें नहीं मिलेंगी और कुछ सीटें छोड़नी पड़ेंगी। इस स्थिति में, मुख्यमंत्री पद की दावेदारी उसके लिए एक महत्वपूर्ण मोलभाव का साधन बन गई है। इसलिए, तेजस्वी का नाम सीट बंटवारे की बातचीत में शामिल किया जाएगा।
तेजस्वी यादव के खिलाफ चल रहे मामले
दूसरी ओर, कांग्रेस को यह चिंता है कि अगर तेजस्वी का नाम घोषित किया गया, तो जमीन के बदले नौकरी घोटाले में उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे की जानकारी जनता के सामने आ जाएगी। भाजपा और जनता दल यू को यह मौका मिलेगा कि वे कह सकें कि महागठबंधन ने एक ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है जो सजा के कगार पर है। यह मामला दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के चरण में है, जहां तेजस्वी यादव आरोपी हैं।
इसके अलावा, वंशवाद का मुद्दा भी उठ सकता है। तेजस्वी के नाम की घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह कहने लगेंगे कि कांग्रेस और राजद के पास कोई अन्य नेता नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव के बाद तेजस्वी ही मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन इस घोषणा के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। वहीं, राजद ने तेजस्वी के नाम की घोषणा कर दी है और लालू प्रसाद ने कहा है कि कोई भी ताकत इस बार तेजस्वी को सीएम बनने से नहीं रोक सकती।