कांग्रेस ने मनरेगा के नाम परिवर्तन पर उठाए सवाल, प्रियंका गांधी का तीखा हमला
मनरेगा का नाम बदलने पर बहस
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर 'विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)' यानी वीबी-जी राम जी करने के प्रस्ताव पर संसद में तीखी बहस शुरू हो गई है। इस बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया।
प्रियंका गांधी का सरकार पर हमला
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में सरकार पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि इस विधेयक से ग्रामीणों को मिलने वाला रोजगार का कानूनी अधिकार कमजोर हो रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल भावना यह है कि शक्ति आम लोगों के हाथ में हो, जो पंचायती राज व्यवस्था का भी आधार है।
विधेयक के खिलाफ आरोप
प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि नया विधेयक इस मूल भावना के खिलाफ है और यह सत्ता को केंद्र में समेटने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि सरकार बिना किसी आवश्यकता के केवल नाम बदलने में भारी खर्च कर रही है, जिससे स्थानीय शासन कमजोर हो रहा है। उनका कहना था कि मनरेगा पहले से ही एक प्रभावी और गारंटी वाला कानून था, जिसे बदलने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
वित्तीय पहलू पर सवाल
उन्होंने वित्तीय पहलू पर गंभीर सवाल उठाते हुए बताया कि पहले मनरेगा के तहत कुल फंड का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार से आता था, लेकिन नए विधेयक में इसे घटाकर केवल 60 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे राज्यों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और उनकी पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
सरकार से विधेयक वापस लेने की मांग
प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार ने रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने की बात तो कही है, लेकिन मजदूरी बढ़ाने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की और कहा कि एक नया और बेहतर विधेयक लाना चाहिए, जो ग्रामीणों के अधिकारों को मजबूत करे।
