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कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का विवादित बयान: क्या राहुल गांधी हैं भारतीय राजनीति के 'नेपो किड'?

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के हालिया बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने वंशवाद और विशेषाधिकार के खिलाफ जनता के गुस्से को उजागर किया, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें राहुल गांधी से जोड़ा। तिवारी ने अपने बयान को एशिया में उभरते रुझानों से जोड़ा, जबकि बीजेपी ने इसे राहुल गांधी की राजनीति पर हमला माना। इस विवाद में तिवारी ने बीजेपी की टिप्पणियों का जवाब भी दिया। जानें पूरी कहानी में क्या है खास।
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कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का विवादित बयान: क्या राहुल गांधी हैं भारतीय राजनीति के 'नेपो किड'?

मनीष तिवारी का बयान

मनीष तिवारी का बयान: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने दक्षिण और पूर्वी एशिया में हाल के राजनीतिक परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए वंशवाद और विशेषाधिकार के खिलाफ जनता के बढ़ते गुस्से को उजागर किया। इस बयान को लेकर बीजेपी ने तिवारी को राहुल गांधी से जोड़ते हुए उन्हें भारतीय राजनीति का 'नेपो किड' करार दिया।


तिवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि "पात्रता अब जनरेशन X, Y, Z के लिए स्वीकार्य नहीं है।" उन्होंने श्रीलंका में गोटबाया राजपक्षे की विदाई, बांग्लादेश में शेख हसीना की संभावित विदाई, नेपाल में केपी शर्मा ओली के खिलाफ विद्रोह और फिलीपींस में फेरडिनेंड मार्कोस जूनियर के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों का उल्लेख किया।



बीजेपी का राहुल गांधी पर हमला

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तिवारी के बयान को राहुल गांधी पर अप्रत्यक्ष हमला बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, "जी-23 बागी गुट के सदस्य, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, भारतीय राजनीति के सबसे बड़े 'नेपो किड' राहुल गांधी पर निशाना साधते हैं। जनरेशन ज़ेड की तो बात ही छोड़िए, कांग्रेस के अपने दिग्गज नेता भी उनकी प्रतिगामी राजनीति से तंग आ चुके हैं। अब बगावत अंदर से ही शुरू हो गई है!"



तिवारी का जवाब

बीजेपी की टिप्पणियों पर मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हे भगवान, मैं तो बस यही चाहता हूं कि कुछ लोग जीवन में आगे बढ़ें।" उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका बयान कांग्रेस और बीजेपी की राजनीति से संबंधित नहीं है, बल्कि यह एशिया में उभरते रुझानों पर आधारित है।



राहुल गांधी और युवा राजनीति

यह विवाद उस समय उभरा है जब राहुल गांधी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर छात्रों और युवा पीढ़ी की सराहना की थी, जिन्होंने संविधान की रक्षा की। यह पोस्ट नेपाल में युवाओं द्वारा केपी शर्मा ओली सरकार को गिराने के बाद आया, जिसे बीजेपी ने भारत में अशांति फैलाने की कोशिश बताया।


संसद में तिवारी का दर्द

तिवारी हाल ही में चर्चा में आए जब उन्हें और शशि थरूर को संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए वक्ता सूची में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने एक समाचार रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए फिल्म पूरब और पश्चिम (1970) के गीत की पंक्तियां लिखीं, "है प्रीत जहाँ की रीति सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ। जय हिंद।"


जब पत्रकारों ने उनसे इस बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, "एक कहावत है, 'यदि आप मेरी खामोशियों को नहीं समझते, तो आप मेरे शब्दों को कभी नहीं समझ पाएंगे।'"


कांग्रेस में सुधार की मांग

सूत्रों के अनुसार, तिवारी ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के कार्यालय को पत्र लिखकर बहस में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उन्हें मौका नहीं दिया। तिवारी लंबे समय से कांग्रेस में आंतरिक सुधार की वकालत करते रहे हैं।


वे 2020 में जी-23 नेताओं के समूह का हिस्सा थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में संगठनात्मक चुनाव और मजबूत नेतृत्व की मांग की थी। इस पत्र में कहा गया था कि बार-बार हो रही चुनावी हार को देखते हुए पार्टी को नई दिशा और सक्रिय नेतृत्व की आवश्यकता है।


2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की अमेठी से हार के बाद इन नेताओं ने संगठन को मजबूत और जवाबदेह बनाने पर जोर दिया था। जी-23 में भूपिंदर सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, गुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे।