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कांग्रेस पार्टी का संविधान बचाने का मॉडल: एक नई दृष्टि

कांग्रेस पार्टी ने संविधान की रक्षा के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने दिल्ली में एक रैली में भाग लिया। इस रैली में संविधान को लेकर उनके विचारों को साझा किया गया। हाल ही में, बीआरएस के 10 विधायकों का कांग्रेस में शामिल होना भी चर्चा का विषय बना है। जानें कैसे दलबदल कानून और राजनीतिक रणनीतियों के बीच यह घटनाक्रम संविधान की सुरक्षा को प्रभावित कर रहा है।
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कांग्रेस पार्टी का संविधान बचाने का मॉडल: एक नई दृष्टि

कांग्रेस का संविधान बचाने का प्रयास

कांग्रेस पार्टी ने संविधान की रक्षा के लिए एक विशेष मॉडल प्रस्तुत किया है। 14 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई कांग्रेस नेता संविधान को हाथ में लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। पिछली लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने संविधान की सुरक्षा के नाम पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां उसने संविधान की रक्षा के लिए वही तरीके अपनाए हैं जो भाजपा के हैं। वहां संविधान को कांग्रेस की सरकार के अनुसार लागू किया जाता है, और जब टकराव होता है, तो सरकार की बात को प्राथमिकता दी जाती है। तेलंगाना के स्पीकर द्वारा दलबदल कानून पर लिया गया निर्णय इसी कांग्रेस मॉडल का उदाहरण है.


बीआरएस के विधायकों का कांग्रेस में शामिल होना

2023 के विधानसभा चुनाव के बाद, मुख्य विपक्षी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के 10 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। बीआरएस के पास कुल 39 विधायक थे। संविधान के अनुसार, यदि दो तिहाई से कम विधायक पार्टी बदलते हैं, तो दलबदल विरोधी कानून लागू होता है। लेकिन यहां 25 प्रतिशत विधायकों ने पार्टी छोड़ी, और स्पीकर प्रसाद कुमार ने कहा कि कोई कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है। बीआरएस ने इन विधायकों को अयोग्य ठहराने का नोटिस जारी किया है। जब स्पीकर ने कोई निर्णय नहीं लिया, तो बीआरएस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्पीकर ने पांच विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई की और कहा कि कोई कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है। इस संदर्भ में, यदि कांग्रेस के विधायक भाजपा में शामिल होते हैं, तो इसे ऑपरेशन लोटस कहा जाता है, और जब स्पीकर उन्हें अयोग्य नहीं ठहराते हैं, तो इसे संविधान की हत्या माना जाता है। ये दोनों कार्य कांग्रेस तेलंगाना में कर रही है।