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कांग्रेस में अनुशासन और संगठनात्मक सुधार की बहस: शशि थरूर और दिग्विजय सिंह का समर्थन

कांग्रेस पार्टी में अनुशासन और संगठनात्मक मजबूती को लेकर बहस फिर से गरमाई है। शशि थरूर ने दिग्विजय सिंह के विचारों का समर्थन किया है, जिसमें भाजपा और आरएसएस की संगठनात्मक क्षमताओं का उल्लेख किया गया है। इस विवाद ने पार्टी के भीतर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं, जिसमें कुछ नेता सुधार की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं, जबकि अन्य ने असहमति जताई है। दिग्विजय सिंह ने अपने बयान का स्पष्टीकरण भी दिया है। यह घटनाक्रम कांग्रेस की भविष्य की दिशा और रणनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
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कांग्रेस में अनुशासन और संगठनात्मक सुधार की बहस: शशि थरूर और दिग्विजय सिंह का समर्थन

कांग्रेस में संगठनात्मक मजबूती पर चर्चा


नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के भीतर अनुशासन और संगठनात्मक मजबूती को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है। पार्टी के सांसद शशि थरूर ने वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की उस टिप्पणी का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने भाजपा और आरएसएस की संगठनात्मक क्षमताओं का उल्लेख किया था। थरूर ने कहा कि कांग्रेस को भी अनुशासन, एकता और संगठनात्मक मजबूती की आवश्यकता है।


शशि थरूर का बयान

दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए शशि थरूर ने कहा कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस का संगठन और भी मजबूत बने। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के भीतर अनुशासन अत्यंत आवश्यक है और संगठन को एक दिशा में कार्य करना चाहिए। दिग्विजय सिंह की टिप्पणियों पर सवाल पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि इस विषय पर सिंह खुद बेहतर तरीके से अपनी बात रख सकते हैं।


राजनीतिक विवाद की शुरुआत

यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की एक पुरानी तस्वीर साझा की। इस तस्वीर में मोदी को एक कार्यकर्ता के रूप में दिखाया गया है। इस पोस्ट के माध्यम से सिंह ने भाजपा और आरएसएस की संगठनात्मक शक्ति की ओर इशारा किया, जिससे राजनीतिक हलचल मच गई।


दिग्विजय सिंह का संदेश

दिग्विजय सिंह ने अपनी पोस्ट में लिखा कि यह तस्वीर दर्शाती है कि कैसे एक जमीनी कार्यकर्ता आगे चलकर राज्य का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। उन्होंने इसे संगठन की ताकत का उदाहरण बताया। सिंह ने इस पोस्ट में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को टैग किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वह पार्टी के भीतर सुधार की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।


कांग्रेस में मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ

दिग्विजय सिंह की टिप्पणी पर कांग्रेस नेताओं की राय विभाजित नजर आई। सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है और सभी को अपनी राय रखने का अधिकार है। वहीं, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस विचार से असहमति जताई और कहा कि आरएसएस से कांग्रेस को कुछ भी सीखने की आवश्यकता नहीं है।


खेड़ा का विवादास्पद बयान

पवन खेड़ा ने आरएसएस की तुलना नाथूराम गोडसे से करते हुए कहा कि गांधी की विचारधारा से जन्मे संगठन को ऐसे विचारों से सीखने की आवश्यकता नहीं है। उनके इस बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया और कांग्रेस के भीतर वैचारिक मतभेदों को उजागर किया।


भाजपा का कांग्रेस पर हमला

भाजपा ने इस विवाद को कांग्रेस का आंतरिक मामला बताया, लेकिन इस मौके पर राहुल गांधी पर भी हमला करने से नहीं चूकी। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की किताब का हवाला देते हुए राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए।


दिग्विजय सिंह का स्पष्टीकरण

भाजपा की प्रतिक्रिया और कांग्रेस के भीतर आलोचना के बाद दिग्विजय सिंह ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह भाजपा, आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक हैं, लेकिन संगठनात्मक मजबूती की बात करना एक अलग विषय है।


सुधार का मुद्दा फिर से उठाया गया

यह पहली बार नहीं है जब दिग्विजय सिंह ने पार्टी के भीतर सुधार की बात की है। इससे पहले भी उन्होंने सार्वजनिक रूप से कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया था और राहुल गांधी से नेतृत्व में बदलाव की उम्मीद जताई थी।


आत्ममंथन की आवश्यकता

इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक सुधार, अनुशासन और एकजुटता को लेकर आत्ममंथन की आवश्यकता महसूस की जा रही है। वरिष्ठ नेताओं की यह बहस आने वाले समय में पार्टी की दिशा और रणनीति को प्रभावित कर सकती है।