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कांग्रेस में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर उठे सवाल, थरूर और तिवारी को नहीं मिला बोलने का मौका

संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं शशि थरूर और मनीष तिवारी को बोलने का मौका नहीं मिला, जिससे पार्टी में असहमति की स्थिति उत्पन्न हो गई है। मनीष तिवारी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर एक प्रसिद्ध गीत की पंक्तियों के माध्यम से अपनी बात रखी। इस मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर चल रही चर्चाओं और सवालों का विश्लेषण किया गया है।
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कांग्रेस में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर उठे सवाल, थरूर और तिवारी को नहीं मिला बोलने का मौका

संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा

नई दिल्ली: संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पार्टी के भीतर असहमति की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पार्टी के प्रमुख नेता शशि थरूर और मनीष तिवारी को इस महत्वपूर्ण बहस में बोलने का अवसर नहीं दिया गया, जबकि वे विदेश दौरे पर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इस पर मनीष तिवारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।


कांग्रेस के भीतर असहमति की आवाजें: कांग्रेस सांसद मनोज तिवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक समाचार रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया। उन्होंने 1970 की प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्म 'पूरब और पश्चिम' के एक देशभक्ति गीत की कुछ पंक्तियों के साथ अपनी बात रखी, जिसमें लिखा था, 'है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं। जय हिंद।'


शशि थरूर तिरुवनंतपुरम से और मनीष तिवारी चंडीगढ़ से सांसद हैं। इन दोनों नेताओं को कांग्रेस ने लोकसभा में पार्टी का पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। समाचार रिपोर्ट में यह सवाल उठाया गया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान इन नेताओं को बाहर क्यों रखा गया?


वास्तव में, 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए केंद्र सरकार ने एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था, जिसमें कांग्रेस के सांसद शशि थरूर, मनीष तिवारी, अमर सिंह, आनंद शर्मा और सलमान खुर्शीद शामिल थे। लेकिन जब संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा हो रही थी, तो किसी भी नेता को कांग्रेस पार्टी के वक्ताओं की सूची में स्थान नहीं मिला।


एक कांग्रेस सांसद के अनुसार, पार्टी ने चर्चा के दौरान बोलने के लिए नए सांसदों का चयन किया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडलों ने 'सरकार के पक्ष में बात की।' हालांकि, 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद कांग्रेस लगातार सरकार से सवाल पूछती रही है।