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केंद्र सरकार का नया बिल: नेताओं की चिंता का असली कारण क्या है?

केंद्र सरकार ने एक नया बिल पेश किया है, जिसमें मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को हटाने का प्रावधान है। इस बिल के पीछे की चिंताओं और नेताओं की स्थिति पर चर्चा की गई है। क्या यह बिल वास्तव में प्रभावी होगा? जानिए इस लेख में कि किन नेताओं को इस बिल से सबसे ज्यादा चिंता है और क्यों।
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केंद्र सरकार का नया बिल: नेताओं की चिंता का असली कारण क्या है?

केंद्र सरकार का विवादास्पद बिल

केंद्र सरकार ने जो नया बिल पेश किया है, जिसमें राज्यों के मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों को हटाने का प्रावधान है, उसकी असली चिंता किसे है? इस बिल में प्रधानमंत्री का भी उल्लेख है, लेकिन सभी जानते हैं कि इसका कोई खास महत्व नहीं है। दरअसल, इस बिल को लेकर किसी को भी ज्यादा चिंतित नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे पहले लोकपाल के मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ था। अन्ना हजारे ने लंबे समय तक आंदोलन किया, और देश के युवा सड़कों पर उतरे। संसद में इस पर कई दिनों तक चर्चा हुई, जिसके बाद यह बिल बना, जिसमें मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को शामिल किया गया। मनमोहन सिंह की सरकार ने इसे लागू किया था, लेकिन पिछले 12 वर्षों में किसी भी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के खिलाफ लोकपाल कानून के तहत कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए नए कानून को लेकर भी ज्यादा चिंता की आवश्यकता नहीं है।


नेताओं की चिंता का कारण

इसलिए, नेताओं को चिंता नहीं करनी चाहिए। यह मान लेना चाहिए कि अगर गिरफ्तारी होनी है, तो हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं है। नेता चिंतित हैं, खासकर कांग्रेस के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और मंत्री। इसके बाद प्रादेशिक पार्टियों के मंत्रियों की चिंता है। जिन नेताओं ने वैकल्पिक व्यवस्था बना रखी है, उन्हें ज्यादा चिंता नहीं है। उदाहरण के लिए, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिंता नहीं है, क्योंकि अगर वे गिरफ्तार होते हैं, तो उनकी पत्नी कल्पना सोरेन मुख्यमंत्री बन जाएंगी। इसी तरह, अगर अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनते हैं और किसी मामले में गिरफ्तार होते हैं, तो उनकी पत्नी डिंपल यादव उनकी जगह लेंगी।


तेलंगाना के मुख्यमंत्री की स्थिति

लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की स्थिति क्या होगी? वे उन 40 प्रतिशत मुख्यमंत्रियों में से हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है, तो कांग्रेस को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन उनकी राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा। उन्हें जेल भेजा जाएगा और पद से हटा दिया जाएगा। यदि वे जेल से लौटते हैं, तो अपनी जगह फिर से पाना लगभग असंभव होगा। इसी तरह, सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और सुखविंदर सिंह सुक्खू की भी यही स्थिति हो सकती है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की स्थिति भी ऐसी ही है। यदि वे किसी मामले में गिरफ्तार होते हैं, तो उनकी राजनीति प्रभावित होगी, लेकिन आम आदमी पार्टी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।