केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग पर विपक्ष की चिंताएं बढ़ी

विपक्ष की चिंताएं
केंद्रीय एजेंसियों, विशेषकर सीबीआई और ईडी, के माध्यम से विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने की संभावनाओं को लेकर विपक्ष के नेताओं में गहरी चिंता है। उनका मानना है कि ये एजेंसियां किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर सकती हैं। धन शोधन के कानून के तहत जमानत के नियम काफी सख्त हैं, जिससे उन्हें 30 दिनों तक जमानत नहीं मिल सकेगी, और इस आधार पर उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।
गिरफ्तारी का डर
विपक्ष का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री को गिरफ्तारी का भय दिखाकर उन्हें किसी कार्य के लिए मजबूर किया जा सकता है। इसके अलावा, यह आशंका भी जताई जा रही है कि किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर उनकी पार्टी को तोड़कर सरकार गिराई जा सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने विधेयक तैयार करते समय विपक्ष की चिंताओं को नजरअंदाज किया है।
कानूनी प्रावधानों का अभाव
अब तक मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों या प्रधानमंत्री को पद से हटाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के लिली थॉमस मामले में दिए गए आदेश के अनुसार, यदि किसी विधायक या सांसद को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो वह विधायिका का सदस्य नहीं रह सकता।
संविधान संशोधन की आवश्यकता
सरकार अब संविधान में संशोधन कर एक नया कानून लाने की योजना बना रही है, जिसके तहत यदि किसी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को गंभीर अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और 30 दिनों तक जमानत नहीं मिलती, तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।
केजरीवाल का मामला
इस कानून की आवश्यकता अरविंद केजरीवाल के मामले से उत्पन्न हुई, जब उन्हें शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया था और उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। इसके विपरीत, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा देकर अपनी पार्टी को सुरक्षित रखा।
नैतिकता और परंपरा
यह मामला नैतिकता और परंपरा से भी जुड़ा हुआ है। अतीत में, नेताओं ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया और राजनीतिक नुकसान नहीं उठाया। उदाहरण के लिए, लालू प्रसाद ने गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा देकर अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनवाया।
विपक्ष की चिंताओं का समाधान
विपक्ष की चिंताओं का एक उत्तर हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल के मामलों से मिलता है। सोरेन ने इस्तीफा दिया और उनकी पार्टी ने अगले चुनाव में बड़ी जीत हासिल की, जबकि केजरीवाल ने इस्तीफा नहीं दिया और उनकी पार्टी चुनाव हार गई।
पुलिस स्टेट का आरोप
कई राजनीतिक दलों के प्रवक्ता और विश्लेषक यह चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि यह कानून भारत को पुलिस स्टेट में बदलने की दिशा में एक कदम है। हालांकि, यह भी सच है कि आम जनता के लिए भारत पहले से ही एक पुलिस स्टेट है।
चंद्रबाबू नायडू का संदर्भ
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि यह कानून चंद्रबाबू नायडू को डराने के लिए लाया गया है। लेकिन यह तर्क बुद्धिहीन है, क्योंकि केंद्रीय एजेंसियां पहले से ही किसी भी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर सकती हैं।