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केरल कांग्रेस के विवादास्पद ट्वीट से बिहार में राजनीतिक हलचल

केरल कांग्रेस द्वारा किए गए एक विवादास्पद ट्वीट ने बिहार में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। इस ट्वीट में जीएसटी सुधारों पर टिप्पणी की गई थी, जिसने कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को जन्म दिया। तेजस्वी यादव ने इसे गलत बताते हुए कांग्रेस से माफी की मांग की है। यह विवाद ऐसे समय में उभरा है जब बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है, और विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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केरल कांग्रेस के विवादास्पद ट्वीट से बिहार में राजनीतिक हलचल

केरल कांग्रेस का विवादास्पद ट्वीट

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी: इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हाल ही में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा का आयोजन किया, जिसे कुछ समर्थन भी मिला। हालांकि, अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव इस यात्रा से संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि राहुल गांधी ने इसे अपने तरीके से संचालित किया, जो राजद कार्यकर्ताओं को पसंद नहीं आया। केरल कांग्रेस ने इस विवाद में और आग में घी डालने का काम किया है।


कांग्रेस की केरल शाखा द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गई एक पोस्ट ने देशभर में हंगामा मचा दिया है। इस पोस्ट में केंद्र सरकार के जीएसटी सुधारों पर टिप्पणी की गई थी, जिसे अब हटा दिया गया है। पोस्ट में लिखा गया था, "बीड़ी और बिहार दोनों बी से शुरू होते हैं" और "इन्हें अब पाप नहीं माना जा सकता," जो जीएसटी में तंबाकू उत्पादों पर टैक्स में की गई कटौती का संदर्भ दे रहा था।




तेजस्वी यादव का बयान


इस बयान ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। बिहार के विपक्षी नेताओं ने भी इस बयान से दूरी बना ली है। तेजस्वी यादव ने इसे गलत ट्वीट बताते हुए कहा, "जब GST लागू किया जा रहा था तब यही लोग कहते थे कि उपभोक्ता राज्य होने के नाते बिहार को फायदा होगा। बदलाव पर भी कह रहे हैं कि फायदा होगा। ये लोग कन्फ्यूज हैं।" केरल कांग्रेस के 'X' पोस्ट पर उन्होंने कहा, "ये जो भी है गलत ट्वीट था हम इसका समर्थन नहीं करते हैं।"


बिहार में इस पोस्ट को लेकर व्यापक नाराजगी देखी जा रही है। सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने इसे बिहार की अस्मिता पर हमला बताया है। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली और कांग्रेस से माफी की मांग की। यह विवाद ऐसे समय में हुआ है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।