केरल बना अत्यधिक गरीबी से मुक्त पहला भारतीय राज्य
केरल की ऐतिहासिक उपलब्धि
नई दिल्ली: केरल ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए भारत का पहला राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया है, जिसने अत्यधिक गरीबी को समाप्त किया है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार को विधानसभा में इस बात की जानकारी दी। यह घोषणा 'पिरवी' या स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष सत्र में की गई।
मुख्यमंत्री का बयान
विजयन ने कहा, 'आज का दिन केरल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि हम अत्यधिक गरीबी से मुक्त होने में सफल रहे हैं। इस विधानसभा ने कई ऐतिहासिक कानून और नीतियों को देखा है, और यह समय नव केरल के निर्माण में एक और महत्वपूर्ण कदम है।'
कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2021 में नए मंत्रिमंडल के गठन के बाद पहली कैबिनेट बैठक में अत्यधिक गरीबी उन्मूलन का निर्णय लिया गया था। उन्होंने कहा कि यह विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने की दिशा में एक कदम है। विपक्ष ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे 'धोखाधड़ी' करार दिया और सत्र का बहिष्कार किया। विजयन ने कहा कि जब यूडीएफ 'धोखाधड़ी' कहता है, तो वे अपने ही कार्यों की बात कर रहे होते हैं।
अत्यधिक गरीबी से लड़ने की पहल
केरल, जो 100 प्रतिशत साक्षरता, डिजिटल साक्षरता और पूर्ण विद्युतीकरण में अग्रणी है, ने सैकड़ों परिवारों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकालने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। राज्य सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करते हुए 20,648 परिवारों के लिए दैनिक भोजन की व्यवस्था की है।
परिवारों को मिल रही सहायता
मुख्यमंत्री ने बताया कि 5,400 से अधिक नए घर बनाए गए हैं, 5,522 घरों की मरम्मत की गई है, और 2,713 भूमिहीन परिवारों को आवास के लिए भूमि दी गई है। इसके अलावा, 21,263 लोगों को राशन कार्ड, आधार और पेंशन जैसे आवश्यक दस्तावेज प्रदान किए गए हैं।
विपक्ष की आलोचना
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने 64,006 कमजोर परिवारों की पहचान की और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार विशेष योजनाएं बनाई हैं। स्थानीय स्वशासन मंत्री एमबी राजेश ने कहा कि केरल का अत्यधिक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम एक पारदर्शी और सहभागी प्रक्रिया के तहत लागू किया गया है। उन्होंने यूडीएफ की आलोचना करते हुए कहा कि यह कोई अचानक की गई घोषणा नहीं है।
