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केरल विधानसभा में शराब की कीमतों पर गरमागरम बहस

केरल विधानसभा में महंगाई के मुद्दे पर शराब की कीमतों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने आरोप लगाया कि सरकार बार-बार शराब के दाम बढ़ाकर जनता को परेशानी में डाल रही है। उन्होंने कहा कि कीमतों में वृद्धि से खपत कम होने के बजाय और अधिक पीने की प्रवृत्ति बढ़ती है। सतीसन ने सरकार के वादों का उल्लंघन और महिलाओं एवं बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी चिंता जताई। जानें इस बहस के प्रमुख बिंदु और सतीसन की राय।
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केरल विधानसभा में शराब की कीमतों पर गरमागरम बहस

महंगाई पर तीखी बहस

केरल विधानसभा में महंगाई के मुद्दे पर शराब की कीमतों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने आरोप लगाया कि सरकार बार-बार शराब के दाम बढ़ाकर जनता को परेशानी में डाल रही है। उनका कहना था कि शराब की कीमतों में वृद्धि से खपत कम होने के बजाय और अधिक पीने की प्रवृत्ति बढ़ती है।


सरकार के वादों का उल्लंघन

सतीसन ने विधानसभा में कहा कि सरकार ने जनता से वादा किया था कि सब्सिडी वाले सामानों की कीमतें नहीं बढ़ेंगी। इसके बावजूद, शराब, जो सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है, की कीमतें लगातार बढ़ाई जा रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, 'मेरी राय है कि शराब की कीमतें बार-बार नहीं बढ़नी चाहिए।'


खपत में कमी का तर्क निराधार

सतीसन ने सरकार के उस तर्क को खारिज किया कि कीमतें बढ़ने पर लोग कम शराब पीते हैं। उन्होंने कहा, 'अगर कोई व्यक्ति पहले तीन पेग पीता था, तो कीमत बढ़ने पर वह दो नहीं करेगा, बल्कि झुंझलाहट में चौथा पेग भी पी जाएगा।' उनका मानना है कि कीमतों में वृद्धि से पीने की आदत पर कोई असर नहीं पड़ता, बल्कि परिवार के बजट पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


महिलाओं और बच्चों पर प्रभाव

सतीसन ने यह भी बताया कि शराब की कीमतों में वृद्धि का असली नुकसान परिवार की महिलाओं और बच्चों को उठाना पड़ता है। घर के खर्च में कमी आने से पुरुष अपनी आवश्यकताओं में कटौती करके भी शराब पर खर्च करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि कीमतों में बदलाव से खपत पर ज्यादा असर नहीं पड़ता, बल्कि इससे सामाजिक और घरेलू समस्याएं बढ़ जाती हैं।


महंगाई का दबाव

सतीसन ने यह भी कहा कि वर्तमान में पूरे देश में सबसे अधिक महंगाई केरल में है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आम जनता पर बोझ डाल रही है। उनका मानना है कि यदि राज्य सरकार वास्तव में जनता को राहत देना चाहती है, तो उसे शराब की कीमतों में बार-बार वृद्धि से बचना चाहिए और परिवारों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करने के उपाय करने चाहिए।