केशव प्रसाद मौर्य की बिहार चुनाव में भूमिका पर चर्चा तेज

केशव प्रसाद मौर्य की नई जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को बिहार चुनाव का सह प्रभारी बनाए जाने के बाद से उनके बारे में उत्तर प्रदेश में चर्चाएं बढ़ गई हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता दो समूहों में विभाजित हो गए हैं। एक समूह मानता है कि मौर्य को मिली यह जिम्मेदारी उनके लिए तरक्की का संकेत है। उनका तर्क है कि यदि बिहार में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहता है और एनडीए सरकार बनती है, तो मौर्य को उत्तर प्रदेश में लाभ होगा। उल्लेखनीय है कि हाल ही में अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में एक कार्यक्रम में मौर्य को अपना करीबी मित्र बताया था, जबकि उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मंच पर उपस्थित थे। इसके बाद मौर्य को बिहार चुनाव में सह प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई।
राजनीतिक समीकरण और संभावनाएं
दूसरी ओर, एक और समूह का मानना है कि यह कदम मौर्य के राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उनका कहना है कि यदि मौर्य इस भूमिका में सफल होते हैं, तो उन्हें राष्ट्रीय संगठन में शामिल किया जा सकता है या अगले साल होने वाले चुनावों में किसी राज्य में भेजा जा सकता है। हालांकि, यह संभावना कम है, क्योंकि बिहार में उनके माध्यम से कोईरी वोट को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। इस सब के बीच, चर्चा यह भी है कि 2017 में मौर्य के साथ जो अन्याय हुआ था, उसका प्रतिकार अब संभव हो सकता है। ध्यान रहे कि 2017 में वे प्रदेश अध्यक्ष थे और चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा गया था, जिसमें गैर यादव पिछड़ा वोट उनके पक्ष में गोलबंद हुआ था। अब उन्हें बिहार में भी यही कार्य करना है। लेकिन सवाल यह है कि जीत के बाद बिहार में कोईरी नेता सम्राट चौधरी का उत्थान होगा या उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य का?