कोलकाता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: मुकुल रॉय को अयोग्य घोषित किया गया
कोलकाता में राजनीतिक भूचाल
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजनीतिक स्थिति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है, जब कोलकाता हाईकोर्ट ने टीएमसी नेता मुकुल रॉय को दल-बदल के आरोपों के तहत अयोग्य करार दिया है।
न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार राशिदी की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाते हुए कहा कि रॉय का दल-बदल साबित हो चुका है। अदालत ने विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी के पूर्व निर्णय को भी पक्षपातपूर्ण मानते हुए खारिज कर दिया, जिससे बंगाल की राजनीति में हलचल मच गई है।
पूर्व निर्णयों को रद्द किया गया
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि मुकुल रॉय का दल-बदल सिद्ध हो चुका है, इसलिए उन्हें विधायक पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। अदालत ने न केवल अयोग्यता का आदेश दिया, बल्कि स्पीकर बिमान बनर्जी द्वारा दिए गए पूर्व निर्णय को भी रद्द कर दिया। कोर्ट ने यह भी माना कि स्पीकर ने मामले में निर्णय देने में अनावश्यक देरी की और पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया।
मुकुल रॉय का राजनीतिक इतिहास
मुकुल रॉय का राजनीतिक सफर हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। नवंबर 2017 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा और भाजपा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद प्राप्त किया। 2021 के विधानसभा चुनाव में वे कृष्णानगर उत्तर से भाजपा के टिकट पर विजयी रहे, लेकिन चुनाव के बाद अचानक तृणमूल कांग्रेस में लौट आए। इस कदम ने उनकी निष्ठा पर सवाल उठाए, जो अब अदालत के फैसले से और मजबूत हो गए हैं।
सुवेंदु अधिकारी का ऐतिहासिक बयान
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह वही याचिका है जो उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में दायर की थी। अधिकारी ने कहा, 'यह ऐतिहासिक फैसला है। अदालत ने न केवल मुकुल रॉय को अयोग्य ठहराया, बल्कि स्पीकर के पक्षपाती रवैये को भी उजागर किया है। देर भले ही हुई हो, लेकिन संविधान और लोकतंत्र की जीत हुई है।'
राजनीतिक प्रभाव और हलचल
इस निर्णय के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में नई हलचल देखने को मिल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला भविष्य में दल-बदल के मामलों पर सख्त मिसाल बनेगा। तृणमूल कांग्रेस ने अभी इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि भाजपा इस फैसले को अपनी नैतिक जीत के रूप में देख रही है। आने वाले दिनों में यह मामला बंगाल के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
