क्या SCO सम्मेलन में भारत और चीन मिलकर अमेरिका को देंगे जवाब?

SCO सम्मेलन का महत्व
अंतरराष्ट्रीय समाचार: चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित होने जा रही है। इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल होंगे। लगभग 20 देशों के प्रमुख नेता इस बैठक में भाग लेंगे। यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा, उसे भारी टैक्स का सामना करना पड़ेगा। इस बैठक में सभी सदस्य देशों के एक संयुक्त बयान जारी करने की उम्मीद है, जिसमें अमेरिका की आक्रामक टैरिफ नीति का जवाब देने की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। भारत और चीन इस मुद्दे को गंभीरता से उठाने की संभावना है।
भारत की स्थिति
भारत इस मंच पर अपनी बात को मजबूती से रखने के लिए तैयार है। पीएम मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपने किसानों और छोटे व्यापारियों के हितों से समझौता नहीं करेगा। भारत अब वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भरता की छवि प्रस्तुत करना चाहता है।
चीन का दृष्टिकोण
चीन का खास संदेश
चीन के राजदूत ने पीएम मोदी की यात्रा को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि SCO सम्मेलन से भारत-चीन संबंधों में नई ऊर्जा आएगी। चीन चाहता है कि एशियाई देश मिलकर अमेरिका की नीतियों को चुनौती दें। बीजिंग लगातार यह संदेश दे रहा है कि अगर एशियाई ताकतें एकजुट हो जाएं, तो अमेरिका की दादागीरी को रोका जा सकता है। चीन अब भारत को अपने साथ खड़ा देखना चाहता है ताकि एशिया की राजनीति और मजबूत हो सके। चीनी मीडिया भी इस यात्रा को लेकर बड़े-बड़े लेख प्रकाशित कर रहा है। यह स्पष्ट है कि चीन इस मुलाकात को अपने लिए ऐतिहासिक बनाने की कोशिश कर रहा है।
SCO शिखर सम्मेलन में वैश्विक दिग्गजों की मौजूदगी
SCO शिखर सम्मेलन में वैश्विक दिग्गजों की मौजूदगी
इस बार चीन के तियानजिन में होने वाला SCO शिखर सम्मेलन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसमें दुनिया के प्रमुख नेताओं की उपस्थिति रहेगी। भारत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन से राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल होंगे। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान और पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार भी इस मंच पर उपस्थित रहेंगे। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन और मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम भी सम्मेलन में भाग लेंगे। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की उपस्थिति इस शिखर बैठक को और भी महत्वपूर्ण बना देगी।
रूस की उम्मीदें
रूस की उम्मीदें बढ़ीं
रूस इस सम्मेलन को अपने लिए एक बड़ा मंच मान रहा है। राष्ट्रपति पुतिन चाहते हैं कि एशियाई देश मिलकर पश्चिमी देशों की पाबंदियों का सामना करें। भारत और चीन की साझेदारी रूस के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। यूक्रेन युद्ध के बाद, रूस को पश्चिम से आर्थिक और राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ा है। अब पुतिन चाहते हैं कि भारत और चीन खुलकर उनका समर्थन करें। रूस मानता है कि SCO जैसे मंच से अमेरिका और यूरोप की नीतियों को चुनौती दी जा सकती है। पुतिन इस बार अपने संबोधन में भारत की भूमिका पर विशेष जोर देने वाले हैं। उनके लिए यह अवसर दोस्ती और साझेदारी को मजबूत करने का है।
अमेरिका को घेरने की रणनीति
अमेरिका को घेरने की रणनीति
यह सम्मेलन केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि शक्ति प्रदर्शन का भी एक माध्यम है। यदि भारत, रूस और चीन एक सुर में बोलते हैं, तो अमेरिका पर बड़ा दबाव पड़ेगा। यह मुलाकात टैरिफ युद्ध में नए मोड़ की शुरुआत कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये तीनों देश एकजुट हो गए, तो दुनिया की राजनीति की दिशा बदल सकती है। अमेरिका की कोशिश रहेगी कि भारत को अपनी ओर खींचकर इस गठजोड़ को कमजोर किया जाए। लेकिन भारत का झुकाव इस बार स्पष्ट रूप से एशियाई देशों की ओर है। SCO का मंच अब सीधे-सीधे एशिया बनाम अमेरिका की तस्वीर पेश करता दिख रहा है। यही कारण है कि इस बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।