क्या इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू युद्ध को अपने राजनीतिक लाभ के लिए बढ़ा रहे हैं?

इज़रायल-हमास संघर्ष: एक लंबा युद्ध और राजनीतिक सवाल
इज़रायल और हमास के बीच चल रहा युद्ध अब तक के सबसे लंबे संघर्षों में से एक बन चुका है, जिसने कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं। 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमले के बाद से इस युद्ध में हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, और ग़ज़ा की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। इस संघर्ष के बीच, इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की राजनीतिक रणनीतियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू हो गई है। क्या नेतन्याहू जानबूझकर इस युद्ध को लंबा खींच रहे हैं ताकि वे सत्ता में बने रह सकें?
नेतन्याहू का राजनीतिक लाभ
द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नेतन्याहू ने इस युद्ध को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट में अमेरिका, इज़रायल और अरब देशों के 110 अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि यह संघर्ष नेतन्याहू के लिए राजनीतिक पुनरुत्थान का अवसर बन गया है।
क्या युद्ध खत्म होने पर सत्ता का जाना तय है?
नेतन्याहू की गठबंधन सरकार की स्थिति काफी कमजोर है, जो दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों पर निर्भर है। इन मंत्रियों का मानना है कि ग़ज़ा में युद्ध का लंबा खिंचाव इज़रायल को यहूदियों की बस्तियों को फिर से बसाने में मदद करेगा। वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोट्रिच ने हाल ही में कहा कि अगर हमास के साथ कोई 'समर्पण समझौता' हुआ, तो यह सरकार गिर जाएगी।
शांति वार्ता में देरी के पीछे क्या कारण हैं?
नेतन्याहू 2020 से भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। यदि वे सत्ता में बने रहते हैं, तो वे अटॉर्नी जनरल पर दबाव बनाए रख सकते हैं। लेकिन अगर युद्ध समाप्त होता है और सत्ता हाथ से निकल जाती है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संभावना बढ़ जाएगी। इसलिए, विशेषज्ञों का मानना है कि शांति वार्ता की गति धीमी रखने का उद्देश्य व्यक्तिगत राजनीतिक सुरक्षा है।
अमेरिका में नेतन्याहू का मीडिया से दूरी
अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान, नेतन्याहू ने अमेरिकी मीडिया को तीन इंटरव्यू दिए, लेकिन इज़रायली प्रेस से कोई संवाद नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि 'आने वाले दिनों में हम हमास के साथ संघर्षविराम और बंधक सौदे को अंतिम रूप दे सकते हैं।'
सऊदी अरब के साथ शांति समझौते की संभावना
यदि युद्ध समाप्त होता है, तो सऊदी अरब के साथ ऐतिहासिक शांति समझौते की संभावना बन सकती है। यह समझौता 1948 में इज़रायल की स्थापना के बाद से किसी भी इज़रायली नेता द्वारा नहीं किया गया है। लेकिन नेतन्याहू की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, वे इस दिशा में कोई पहल करते नहीं दिख रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती आलोचना
गाज़ा में अब तक लगभग 55,000 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें करीब 10,000 बच्चे शामिल हैं। यह युद्ध अब 1948, 1967 और 1973 के युद्धों से भी लंबा हो चुका है। इस संघर्ष ने इज़रायल की अंतरराष्ट्रीय छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इज़रायल पर 'जनसंहार' के आरोपों की सुनवाई चल रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस युद्ध की लंबी अवधि से नाखुश बताए जा रहे हैं।