क्या चीन-पाकिस्तान सहयोग भारत के लिए खतरा है? शशि थरूर का बयान

शशि थरूर का महत्वपूर्ण बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने गुरुवार को वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास में एक थिंक टैंक के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान की लगभग 81 प्रतिशत सैन्य आपूर्ति चीन से आती है। उन्होंने यह भी बताया कि चीन का पाकिस्तान में गहरा हित होने के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे विवाद में चीन को नजरअंदाज करना असंभव है। थरूर इस समय एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जो अमेरिका में ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस्लामाबाद और आतंकवादी संगठनों के बीच संबंधों को उजागर करने का प्रयास कर रहा है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा और बीआरआई
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा और बीआरआई
थरूर ने बताया कि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) है। उन्होंने कहा, "यहां 'रक्षा' शब्द सीमित हो सकता है क्योंकि पाकिस्तान को मिलने वाले कई उपकरण आक्रमण के लिए हैं।" थरूर ने स्पष्ट किया कि चीन और पाकिस्तान के बीच सहयोग भारत के लिए एक ऐसा पहलू है, जिसे संघर्ष के दौरान नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भारत-चीन संबंधों में सुधार और चुनौतियाँ
भारत-चीन संबंधों में प्रगति के बीच चुनौतियां
थरूर ने कहा कि 2020 में गलवान घाटी में तनाव के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में कुछ सुधार देखने को मिला है। उन्होंने कहा, "हमने चीन के साथ व्यापार को रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ाया है और शत्रुतापूर्ण रवैया नहीं अपनाया है।" हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को क्षेत्रीय चुनौतियों के प्रति पूरी तरह सजग रहना होगा।
पहलगाम हमले का संदर्भ
पहलगाम हमले का मामला
थरूर ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का उल्लेख किया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। उन्होंने बताया कि उस समय सुरक्षा परिषद ने हमले की निंदा की, लेकिन हमलावर समूह 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' का नाम नहीं लिया गया क्योंकि पाकिस्तान ने चीन की मदद से इसे हटवा दिया था। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि चीन और पाकिस्तान संयुक्त रूप से आतंकवाद को समर्थन दे रहे हैं।
सैन्य तकनीक में बदलाव
सैन्य तकनीक और रणनीतिक बदलाव
थरूर ने कहा कि भारत ने पाकिस्तानी सेना की चीनी तकनीक का मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीतियों में बदलाव किया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि चीन-पाकिस्तान द्वारा 'किल चेन' नामक प्रणाली का उपयोग किया जाता है, जिसमें रडार, जीपीएस, विमान और मिसाइल एक साथ जुड़े होते हैं। भारत ने इस तकनीक को भेदने और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए अपनी योजना में बदलाव किया, जिसके कारण ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 11 पाकिस्तानी हवाई अड्डों को निशाना बनाया जा सका।