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क्या डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के लिए योग्य हैं? जानें इजरायल और पाकिस्तान की दलीलें

डोनाल्ड ट्रंप का नाम 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है, जिसके पीछे इजरायल और पाकिस्तान की दलीलें हैं। जानें कि क्या ट्रंप वास्तव में इस पुरस्कार के योग्य हैं और उनके कार्यों का क्या प्रभाव रहा है। इस रिपोर्ट में ट्रंप के शांति प्रयासों, भारत का रुख, और नोबेल पुरस्कार की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई है।
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क्या डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के लिए योग्य हैं? जानें इजरायल और पाकिस्तान की दलीलें

डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़

डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चर्चा में हैं, और इस बार कारण है उनका नाम नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में आना। पहले पाकिस्तान और अब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए आधिकारिक रूप से नामांकित किया है। नेतन्याहू ने ट्रंप को व्हाइट हाउस डिनर के दौरान व्यक्तिगत रूप से नॉमिनेशन पत्र की एक प्रति भी सौंपी। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या ट्रंप वास्तव में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए योग्य हैं? क्या उनके कार्य शांति के लिए सार्थक रहे हैं?


इस रिपोर्ट में जानें इजरायल की दलीलें, ट्रंप की नोबेल की चाहत, भारत का रुख, पुरस्कार की प्रक्रिया और ट्रंप के लिए संभावित चुनौतियाँ।


इजरायल ने ट्रंप के लिए नॉमिनेशन क्यों किया?

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करते हुए कहा कि उन्होंने अब्राहम समझौता किया है और हर क्षेत्र में शांति स्थापित करने का प्रयास किया है। उन्होंने नोबेल समिति को एक पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने ट्रंप को नामांकित किया है। नेतन्याहू ने ट्रंप को यह पत्र व्हाइट हाउस डिनर के दौरान सौंपा, जिस पर ट्रंप ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए धन्यवाद कहा।


ट्रंप को पहले भी मिल चुके हैं नोबेल नॉमिनेशन

ट्रंप को पहले भी उनके समर्थकों और सहयोगी देशों द्वारा नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया जा चुका है। उन्होंने कई बार कहा है कि उन्हें यह पुरस्कार मिलना चाहिए। उनके अनुसार, उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर, सर्बिया-कोसोवो के बीच तनाव कम करने और मिस्र-इथियोपिया के बीच टकराव सुलझाने में मदद की है। हालांकि, भारत सरकार ने उनके सीजफायर दावे को खारिज किया है।


ट्रंप का "शांति-दूत" बनने का दावा

2024 के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार में ट्रंप ने खुद को "शांति-दूत" बताया था। उनका कहना था कि यदि वे दोबारा राष्ट्रपति बने, तो रूस-यूक्रेन और इज़रायल-गाजा युद्ध को 24 घंटे में समाप्त कर देंगे। लेकिन राष्ट्रपति पद संभालने के छह महीने बाद भी इन युद्धों में कोई ठोस शांति पहल नहीं हुई है।


नोबेल शांति पुरस्कार कैसे मिलता है?

नोबेल शांति पुरस्कार नॉर्वे की नोबेल समिति द्वारा दिया जाता है। इसके लिए नॉमिनेशन प्रक्रिया पारदर्शी होती है। नॉमिनेशन केवल योग्य लोग या संस्थान कर सकते हैं, और कोई खुद को नामांकित नहीं कर सकता। नॉमिनेशन की अंतिम तारीख 31 जनवरी होती है, और फरवरी से अगस्त के बीच एक विशेषज्ञ टीम द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। अक्टूबर में समिति बहुमत से विजेता का चयन करती है।


ट्रंप के रास्ते में क्या हैं रोड़े?

नोबेल पुरस्कार का इतिहास बताता है कि यह पुरस्कार उन लोगों को मिलता है जिन्होंने वैश्विक स्तर पर शांति स्थापित करने में मदद की हो। ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका कई संघर्षों में उलझा रहा है, जिससे उनके नाम को समर्थन मिलने की संभावना कम है।


पाकिस्तान और इजरायल की मंशा क्या है?

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान और इजरायल दोनों ट्रंप की "गुड बुक" में बने रहना चाहते हैं। ट्रंप की विदेश नीति काफी व्यक्तिपरक रही है, और उन्होंने निजी संबंधों के आधार पर निर्णय लिए हैं। पाकिस्तान भारत के सख्त रुख से डरा हुआ है, जबकि इजरायल वैश्विक स्तर पर अपने सैन्य अभियानों के लिए आलोचना का सामना कर रहा है।