क्या डोनाल्ड ट्रंप फिर से बनेंगे 'शांति दूत'? थाईलैंड-कंबोडिया विवाद में हस्तक्षेप

डोनाल्ड ट्रंप का नया शांति प्रयास
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने 'शांति निर्माता' की भूमिका में नजर आ रहे हैं। इस बार उन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे खूनी संघर्ष को समाप्त करने की कोशिश की है। इससे पहले भी, उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का श्रेय खुद को दिया था, जिसे भारत सरकार ने खारिज कर दिया था। अब ट्रंप ने थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद में मध्यस्थता का दावा किया है।
थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष की गंभीरता
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर पिछले चार दिनों से हिंसक झड़पें चल रही हैं, जिसमें 34 लोगों की जान जा चुकी है और 1.68 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। इस गंभीर स्थिति में, ट्रंप ने 'ट्रेड डिप्लोमेसी' के माध्यम से युद्ध रोकने का प्रयास किया है, खुद को वैश्विक संकट सुलझाने वाला नेता बताते हुए।
भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर ट्रंप का दावा
रविवार को एक प्रेस बयान में, ट्रंप ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच समाधान करना उनके लिए आसान होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक वह बातचीत खत्म नहीं करते, तब तक दोनों पक्ष समझौता करना चाहते हैं। हालांकि, भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि 2021 में हुआ सीजफायर पूरी तरह द्विपक्षीय था और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता में नहीं हुआ।
थाईलैंड-कंबोडिया विवाद में ट्रंप का हस्तक्षेप
शनिवार को, ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट 'टूथ सोशल' पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं से बात की है और चेतावनी दी है कि यदि संघर्ष जल्द नहीं रुका, तो अमेरिका अपने व्यापारिक संबंधों पर पुनर्विचार करेगा। उन्होंने कहा कि यदि वह व्यापार का उपयोग युद्ध के समाधान में कर सकते हैं, तो यह उनके लिए सम्मान की बात होगी।
मलेशिया में शांति वार्ता
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए दोनों देशों के नेता मलेशिया में वार्ता के लिए एकत्र होंगे। थाईलैंड के प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथाम वेचायाचाई, मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के निमंत्रण पर वार्ता में शामिल होंगे। कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं।
संघर्ष का मानवीय प्रभाव
सीमा पर जारी संघर्ष ने दोनों देशों के नागरिकों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। पिछले चार दिनों में गोलीबारी और गोलाबारी में 34 लोगों की जान गई है, जबकि 1.68 लाख से अधिक लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। राहत एजेंसियां हालात को नियंत्रण में लाने के प्रयास में जुटी हुई हैं।
क्या ट्रंप फिर से 'शांति दूत' बनेंगे?
हालांकि ट्रंप का यह नया दावा उन्हें वैश्विक कूटनीति के केंद्र में लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की बयानबाजी से अधिकांश देशों की संप्रभुता और द्विपक्षीय प्रक्रिया पर असर नहीं पड़ता। भारत-पाकिस्तान के मामले में पहले ही ट्रंप के दावों को नकारा जा चुका है, अब देखना होगा कि थाईलैंड और कंबोडिया की प्रतिक्रिया क्या होती है।