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क्या नाम परिवर्तन से महात्मा गांधी की विरासत को कमजोर किया जा रहा है? जानें पूरी कहानी

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदलकर 'विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन' रखने के बाद देश में राजनीतिक बहस छिड़ गई है। कांग्रेस ने इसे गांधी जी के नाम का अपमान बताया है, जबकि भाजपा इसे योजना के विस्तार के रूप में देख रही है। कंगना रनौत ने इस पर अपनी राय दी है, जिससे नया विवाद उत्पन्न हुआ है। जानें इस मुद्दे पर सभी प्रमुख प्रतिक्रियाएं और राजनीतिक दृष्टिकोण।
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क्या नाम परिवर्तन से महात्मा गांधी की विरासत को कमजोर किया जा रहा है? जानें पूरी कहानी

नई राजनीतिक बहस का आगाज़


नई दिल्ली: मोदी सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलकर 'विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (VB-G RAM G)' रख दिया है, जिससे देश की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस कदम को गांधी जी के नाम और उनके विचारों का अपमान बताया है। वहीं, भाजपा इसे योजना के दायरे और उद्देश्यों के विस्तार के रूप में देख रही है.


नाम परिवर्तन का विवाद

मनरेगा को ग्रामीण रोजगार का आधार माना जाता है और इसका नाम सीधे महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर 'गांधी' नाम हटाकर उनकी विरासत को कमजोर करने की कोशिश की है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि एक विचारधारा का एजेंडा है, जिसके तहत गांधी को धीरे-धीरे सार्वजनिक नीति और विमर्श से हटा दिया जा रहा है.


कंगना रनौत का बयान

भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए संसद परिसर के बाहर एक बयान दिया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। कंगना ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलकर 'जी राम जी' करने से गांधी जी का अपमान कैसे हुआ? उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा गांधी ने 'रघुपति राघव राजा राम' को लेकर एक राष्ट्रीय गान बनाया था, जिससे उन्होंने पूरे देश को एकजुट किया था.


कंगना ने यह भी कहा कि सरकार गांधी के सपनों को आगे बढ़ा रही है और 'राम' का नाम जोड़ना उनके विचारों के खिलाफ नहीं है। हालांकि, उनके बयान में 'रघुपति राघव राजा राम' को राष्ट्रगान बताने की बात ने नया विवाद खड़ा कर दिया है.


कांग्रेस का जवाब

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना का वीडियो साझा करते हुए तीखा तंज कसा। उन्होंने लिखा, “चलो भाई, आज नया राष्ट्रीय गान भी पता चल गया! भाजपा में एक से बढ़कर एक शिरोमणि भरे पड़े हैं।” इसके अलावा, कई सोशल मीडिया यूजर्स ने भी कटाक्ष किए। एक यूजर ने लिखा कि “यह राष्ट्रगान 2014 में बना था, यह बताना भूल गईं कंगना जी।”


कांग्रेस नेताओं का विरोध

कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस नाम परिवर्तन की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे गांधी को हाशिये पर डालने की साजिश बताया। गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि महात्मा गांधी हमेशा प्रभु श्रीराम के भक्त रहे और उनके अंतिम शब्द भी “हे राम” थे, लेकिन उसी 'राम' नाम की आड़ में गांधी को योजना के नाम से हटाना निंदनीय है.


सियासत बनाम नीति

सरकार का कहना है कि नाम बदलने से योजना की मूल भावना में कोई बदलाव नहीं आया है, बल्कि रोजगार और आजीविका को विकसित भारत के लक्ष्य से जोड़ने की कोशिश की गई है। वहीं, विपक्ष इसे प्रतीकात्मक राजनीति और इतिहास के पुनर्लेखन की कोशिश बता रहा है.