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क्या पवार परिवार में सियासी एकता की नई शुरुआत हो रही है?

महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार के बीच सियासी खाई भरने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। शरद पवार के पोते रोहित पवार ने एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने अजित पवार और शरद पवार की एनसीपी के विलय की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं किया। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जानें इस मामले में आगे क्या हो सकता है और शरद पवार का मौन क्या संकेत दे रहा है।
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क्या पवार परिवार में सियासी एकता की नई शुरुआत हो रही है?

महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में एक महत्वपूर्ण सवाल उभर रहा है - क्या पवार परिवार के बीच की राजनीतिक खाई अब भरने वाली है? शरद पवार और अजित पवार के गुटों के बीच चल रही खींचतान में एक नया मोड़ आया है। यह मोड़ शरद पवार के पोते रोहित पवार के एक बयान के माध्यम से आया है, जिसने एकता की संभावनाओं को फिर से जीवित कर दिया है.


रोहित पवार का बयान

जब मीडिया ने रोहित पवार से पूछा कि क्या अजित पवार और शरद पवार की एनसीपी का विलय संभव है, तो उन्होंने इसे स्पष्ट रूप से नकारा नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने कहा कि इस पर निर्णय सुप्रिया सुले लेंगी। यह बयान इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि शरद पवार गुट हमेशा यह दावा करता रहा है कि भाजपा के साथ जाने वाले अजित पवार ने अपनी विचारधारा से समझौता किया है। लेकिन अब संकेत बदलते हुए नजर आ रहे हैं.


शरद पवार का मौन

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा आम है कि शरद पवार जो कहते हैं, उसका उल्टा करते हैं। रोहित पवार के इस बयान के बाद अटकलें और तेज हो गई हैं। उन्होंने कहा कि 'साहब' यानी शरद पवार ने सुप्रिया सुले को इस मामले की जिम्मेदारी दी है और वे 5 जून को विदेश यात्रा से लौटने के बाद कोई निर्णय लेंगी.


अंदरखाने की बातचीत?

हालांकि, रोहित पवार ने यह स्पष्ट किया कि न तो विधायक और न ही कार्यकर्ता स्तर पर अजित पवार गुट से कोई बातचीत हुई है। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि उन्होंने किसी भी संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं किया। यह स्थिति पवार परिवार के भीतर चल रहे विचार-विमर्श की ओर इशारा करती है.


भाजपा के साथ गठबंधन की संभावना

यदि यह विलय होता है और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शरद पवार गुट के साथ जुड़ जाती है, तो भाजपा के साथ गठबंधन की राह और भी स्पष्ट हो सकती है। यह वही भाजपा है, जिसके साथ शरद पवार अब तक वैचारिक मतभेदों की बात करते आए हैं। लेकिन बदलते राजनीतिक हालात में वे किसी भी अप्रत्याशित निर्णय के लिए जाने जाते हैं.