Newzfatafatlogo

क्या पाकिस्तान की सेना ने अपने नागरिकों पर किया हमला? तिराह घाटी में बमबारी से मचा हड़कंप

22 सितंबर 2025 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के तिराह घाटी में हुई बमबारी ने 30 से अधिक लोगों की जान ले ली, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इस घटना ने मानवाधिकार आयोग और विपक्षी पार्टी PTI की तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। आयोग ने न्यायिक जांच की मांग की है, जबकि PTI ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताया है। इस बमबारी ने पाकिस्तान की सेना की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या पाकिस्तान की सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है? जानें पूरी कहानी।
 | 
क्या पाकिस्तान की सेना ने अपने नागरिकों पर किया हमला? तिराह घाटी में बमबारी से मचा हड़कंप

तिराह घाटी में बमबारी की घटना

Pakistan Airstrike Civilian Deaths : 22 सितंबर 2025 की रात खैबर पख्तूनख्वा के तिराह घाटी में एक गंभीर घटना घटी, जिसने पाकिस्तान को फिर से सवालों के घेरे में ला दिया है। रात लगभग 2 बजे, मत्रे दारा गांव पर पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) के JF-17 लड़ाकू विमानों ने आठ LS-6 बम गिराए, जिससे गांव में व्यापक तबाही हुई। इस हमले में 30 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और कई घर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं.


मानवाधिकार आयोग की न्यायिक जांच की मांग
इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने इसे अमानवीय करार देते हुए तत्काल न्यायिक जांच की मांग की है। आयोग ने कहा कि निर्दोष महिलाओं और बच्चों का इस तरह से मारा जाना अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने दोषियों को सजा देने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है.


PTI ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताया
पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने इस बमबारी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की सेना ने अपने ही नागरिकों पर हमला किया है, इसे "मानवता के खिलाफ एक खुला अपराध" कहा गया है। खैबर पख्तूनख्वा से विधायक अब्दुल गफ्फार अफरीदी ने कहा कि यदि सेना अपने ही लोगों को निशाना बनाएगी, तो यह सबसे बड़ा पाप है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है.


सेना की भूमिका पर उठे सवाल, आम जनता में रोष
PAF द्वारा की गई इस बमबारी ने पाकिस्तान की सेना की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना द्वारा बमबारी की गई हो, लेकिन इस बार नागरिकों को सीधे निशाना बनाया गया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मरने वालों में कई छोटे बच्चे भी थे जो उस समय सो रहे थे. मलबे के नीचे से निकाले गए शवों की स्थिति इतनी भयावह थी कि पहचान करना भी मुश्किल हो रहा था.


सरकार की चुप्पी और जवाबदेही पर सवाल
अब तक पाकिस्तान सरकार की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, जिससे लोगों में और अधिक गुस्सा फैल रहा है। यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या पाकिस्तान की सरकार और सेना को अपने नागरिकों की जान की कोई परवाह नहीं है? आम लोगों का विश्वास टूटता नजर आ रहा है और मानवाधिकार संगठनों के साथ-साथ राजनीतिक दल भी सरकार से इस हवाई हमले पर जवाब मांग रहे हैं.


क्या अपनी ही जनता के खिलाफ युद्ध कर रहा PK?
तिराह घाटी की यह घटना केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि राज्य की विफलता का प्रतीक बन गई है। जब सेना अपने ही नागरिकों को दुश्मन समझकर उन पर बम गिराने लगे, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि यह लोकतंत्र है या सैन्य तानाशाही? खैबर पख्तूनख्वा की जनता इंसाफ मांग रही है, और अब वक्त आ गया है कि सरकार को जवाब देना होगा — न सिर्फ अपने देशवासियों को, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी.