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क्या पीएम मोदी का भाषण था सिर्फ दिखावा? कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने 12वें भाषण में कई योजनाओं का ऐलान किया, लेकिन कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे 'बासा' करार देते हुए कहा कि भाषण में कोई ठोस योजना नहीं थी। जयराम ने पीएम पर आरोप लगाया कि उन्होंने किसानों और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों का जिक्र नहीं किया। इसके अलावा, उन्होंने आरएसएस का नाम लेने पर भी आपत्ति जताई। जानें पूरी कहानी में क्या है।
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क्या पीएम मोदी का भाषण था सिर्फ दिखावा? कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल

पीएम मोदी का भाषण और विपक्ष की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने 12वें संबोधन में तिरंगा फहराया और कई योजनाओं का ऐलान किया। हालांकि, उनके इस भाषण पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे 'बासा' करार देते हुए कहा कि पीएम थके हुए नजर आए और जल्द ही रिटायर हो सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाषण में पुराने नारे तो थे, लेकिन कोई ठोस योजना या परिणाम नहीं दिखा।


जयराम रमेश की आलोचना

जयराम रमेश ने कहा कि पीएम का संबोधन आत्म-प्रशंसा और चुनिंदा कहानियों का मिश्रण था, जिसमें बेरोजगारी, आर्थिक असमानता और संकट जैसे असली मुद्दों का जिक्र नहीं किया गया। उन्होंने आरएसएस का नाम लेने पर आपत्ति जताते हुए इसे स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर का राजनीतिकरण बताया।


पुराने वादों की पुनरावृत्ति

कांग्रेस नेता ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि 'विकसित भारत', 'आत्मनिर्भर भारत' और 'सबका साथ, सबका विकास' जैसे नारे हर साल दोहराए जा रहे हैं, लेकिन इनके कोई ठोस परिणाम नहीं हैं। मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप का वादा कई बार किया गया है, लेकिन अब तक कोई प्रगति नहीं हुई।


किसानों के मुद्दों पर ठोस कदम का अभाव

जयराम रमेश ने कहा कि किसानों की रक्षा की बातें अब खोखली लगती हैं, क्योंकि तीन काले कृषि कानूनों को लागू करने की कोशिश की गई थी। एमएसपी की कानूनी गारंटी या कर्ज माफी पर कोई ठोस घोषणा नहीं की गई। उन्होंने रोजगार सृजन के मुद्दे पर भी पीएम पर 'दिखावटी बयान' देने का आरोप लगाया।


संवैधानिक संस्थाओं पर हमले का आरोप

कांग्रेस नेता ने कहा कि पीएम ने एकता और लोकतंत्र की बातें कीं, जबकि वे स्वयं चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं के पतन के जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के जरिए लाखों लोगों को वोटर लिस्ट से हटाया जा रहा है।


आरएसएस का नाम लेना संवैधानिक भावना का उल्लंघन

जयराम रमेश के अनुसार, लाल किले से आरएसएस का नाम लेना संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह पीएम की 75वीं वर्षगांठ से पहले संगठन को खुश करने की एक हताश कोशिश है।